Bihar Polls: एग्जिट पोल का इतिहास- 2015 और 2020 में कैसे झूठे साबित हुए थे अनुमान?

आज बिहार में अंतिम चरण का मतदान जारी है, जिसके बाद एग्जिट पोल का इंतजार है। पिछले बिहार विधानसभा चुनावों (2015 और 2020) के एग्जिट पोल के विश्लेषण से पता चलता है कि वे अक्सर वास्तविक परिणामों से काफी भिन्न रहे हैं, खासकर सीटों के अनुमान में भारी अंतर देखा गया है, जो उनकी सटीकता पर सवाल उठाता है।
बिहार में हाई दांव वाली लड़ाई मंगलवार को समाप्त हो जाएगी, क्योंकि राज्य चुनाव के दूसरे और अंतिम चरण में 20 जिलों के 122 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान होगा, जिसमें एक दर्जन मौजूदा मंत्रियों सहित 1,302 उम्मीदवारों के राजनीतिक भाग्य का फैसला होगा। मतदान का अंतिम दौर न केवल अगली सरकार का, बल्कि कई प्रमुख राजनीतिक दिग्गजों के भविष्य का भी निर्धारण करेगा। 1.74 करोड़ महिलाओं सहित 3.7 करोड़ से ज़्यादा मतदाता 45,399 मतदान केंद्रों पर मतदान करने के पात्र हैं। अभी बिहार में अंतिम चरण का मतदान जारी है। आज शाम से एग्जिट पोल टीवी चैनल पर आने लगेंगे। आइए आपको बताते हैं 2020 और 2015 के एग्जिट पोल कितने सच हुए और कितने गलत।
बिहार वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव
साल 2020 के विधानसभा चुनाव के एग्जिट पोल में बताया गया था कि, औसतन 11 एग्जिट पोल ने राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन की 125 सीटों पर मामूली जीत का अनुमान लगाया। जबकि 243 सीटों वाली विधानसभा में 122 सीटों के बहुमत आंकड़े से थोड़ा कम था। वहीं, जदयू के नेतृत्व वाले एनडीए को 108 सीटें मिलने का अनुमान था। बल्कि एनडीए बहुमत का आंकड़ा पार करने में कामयाब रहा और महागठबंधन की 110 सीटों की तुलना में 125 सीटें जीत पाया। वर्ष 2020 में औसतन 11 एग्जिट पोल ने एनडीए को 17 सीटों से कम और महागठबंधन को 15 सीटों से ज्यादा आकं दिया था।
पैट्रियटिक वोटर, पी-मार्क और एबीपी न्यूज़-सीवोटर अपने अनुमानों में सबसे करीब रहे, तीनों ने एनडीए को बहुमत मिलने का अनुमान लगाया। न्यूज़ 18-टुडेज चाणक्य सबसे ज़्यादा गलत साबित हुआ, जिसने एनडीए को 55 और महागठबंधन को 180 सीटें मिलने का अनुमान लगाया। तीन एजेंसियों - रिपब्लिक-जन की बात, इंडिया टुडे/आज तक-एक्सिस माई इंडिया, और न्यूज़ 18-टुडेज चाणक्य - ने महागठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिलने की भविष्यवाणी की।
वर्ष 2015 विधानसभा चुनाव का एग्जिट पोल
साल 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव का एग्जिट पोल की बात करें, तो कट्टर प्रतिद्वंद्वी राजद और जदयू ने कांग्रेस के साथ मिलकर महागठबंधन बनाकर चुनाव लड़ा था। उस चुनाव में एनडीए का नेतृत्व भाजपा कर रही थी और इसमें अविभाजित लोजपा, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (अब उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय लोक मोर्चा) और जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) शामिल थी। उस समय औसतन छह एग्जिट पोल ने महागठबंधन की मामूली जीत की भविष्यवाणी की थी, जिसमें कहा गया था कि वह 1 सीट से 122 के बहुमत के आंकड़े को पार कर जाएगी, जबकि एनडीए को 114 सीटें दी गई थीं।
लेकिन राजद-जद(यू)-कांग्रेस गठबंधन को शानदार सफलता मिली, जिसने सामूहिक रूप से 178 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत हासिल कर लिया। एनडीए को केवल 58 सीटें मिलीं। तीन पोलिंग एजेंसियों ने महागठबंधन की जीत की सही भविष्यवाणी की थी, जबकि दो ने एनडीए की जीत का अनुमान लगाया था और एक ने त्रिशंकु विधानसभा का अनुमान लगाया था। औसतन, इन छह पोलों ने महागठबंधन के प्रदर्शन को 55 सीटों से कम और एनडीए के प्रदर्शन को 56 सीटों से ज़्यादा आंका था।
सीएनएन आईबीएन-एक्सिस पोल ने महागठबंधन की 176 सीटों के साथ भारी जीत की भविष्यवाणी के सबसे करीब था। इसने एनडीए को 64 सीटें भी दीं।
हालांकि, प्रतिद्वंद्वी से सहयोगी बने राजद और जदयू द्वारा हासिल की गई शानदार जीत के बावजूद, 2017 में यह गठबंधन टूट गया, जब नीतीश कुमार भाजपा के साथ नई सरकार बनाने के लिए एनडीए में वापस आ गए।



