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Karnataka News: कर्नाटक के मंत्री शिवानंद पाटिल के विवादित बयान पर मचा घमासान, कहा- मुआवजे के लिए सुसाइड कर रहे किसान

By LSChunav | Sep 06, 2023

कर्नाटक के गन्ना विकास और कृषि उपज बाजार समितियों के मंत्री शिवानंद पाटिल के विवादित बयान पर घमासान मच गया है। शिवानंद पाटिल ने बीते मंगलवार को कहा कि किसान मुआवजे के लिए आत्महत्या कर रहे हैं। हालांकि बाद में उन्होंने इस बयान को लेकर सफाई भी पेश की। बता दें कि पहले उन्होंने कहा था कि कर्नाटक सरकार ने मृतक किसानों के परिवार के लिए मुआवजे में बढ़ोतरी की है, तब से राज्य में किसानों की आत्महत्या के मामले बढ़ते जा रहे हैं। शिवानंद के इस बयान पर कर्नाटक के कई किसान संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। वहीं विपक्ष ने भी कांग्रेस सरकार को निशाने पर ले लिया है। 

राज्य रायथा संघ की जिला इकाई के महासचिव मल्लिकार्जुन बल्लारी और हासिरु सेना ने मंत्री शिवानंद पाटिल के इस्तीफे की मांग की है। महासचिव मल्लिकार्जुन बल्लारी और हासिरु सेना ने मंत्री से कहा कि यदि उनके परिवार को 50 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाएगा तो क्या शिवानंद पाटिल आत्महत्या करेंगे। 

तेज हुई पाटिल को हटाने की मांग
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से किसानों ने मंत्री पाटिल को उनके गैर-जिम्मेदाराना बयान के लिए मंत्रिमंडल से हटाए जाने का आग्रह किया है। बता दें अपनी फजीहत होती देख पाटिल ने अपने बयान से यू-टर्न लेते हुए कहा कि उनके बयान का गलत अर्थ निकाला जा रहा है। पाटिल ने कहा कि उन्होंने किसानों की भावनाओं को आहत करने वाला कोई बयान नहीं दिया है। वह सिर्फ समुदाय के व्यापक हित में जिम्मेदार होने और किसानों की आत्महत्या की रिपोर्ट करने से पहले एफएसएल रिपोर्ट का इंतजार करने की सलाह दे रहे थे।

हावेरी जिले के प्रभारी मंत्री पाटिल ने कहा था कि मौजूदा सरकार द्वारा मुआवजा 2 लाख से बढ़ाकर 5 लाख किए जाने के बाद से किसानों के आत्महत्या मामले में वृद्धि हुई है। पाटिल ने आगे कहा कि अलग-अलग कारणों से किसान आत्महत्या करते हैं। वहीं अगर आप पुलिस की दर्ज रिपोर्ट देखेंगे तो आप खुद को गलत पाएंगे। ऐसे में फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए। वहीं रिपोर्ट फाइल करने से पहले आत्महत्या का असली कारण जानना चाहिए।

पाटिल ने हाल के मामलों का हवाला देते हुए कहा कि कई ऐसे मामले सामने आए हैं। जहां पर किसानों की मौत दिल का दौरा पड़ने, शराब के कारण आदि से हुई है। लेकिन लालची रिश्तेदार मुआवजे का दावा करने लगते हैं और वास्तविक मृत्यु को आत्महत्या करार देते हैं। झूठे कारणों पर मुआवजे की राशि पाने की कोशिश करना मानव का स्वभाव है। उन्होंने आगे कहा कि जब किसी किसान की फसल खराब हो जाती है, या वह कर्ज के कारण आत्महत्या करता है। तो उसके परिजनों को आसानी से मुआवजा मिलेगा। 

पाटिल ने किसानों की आत्महत्या की खबरों पर आपत्ति जताते हुए कहा कि राज्य में किसानों की आत्महत्या करना कोई नई बात नहीं है। क्योंकि पिछले दो दशकों से आत्महत्या के मामले सामने आ रहे हैं। मंत्री ने कहा कि साल 2020 में राज्य में करीब 500 किसानों से आत्महत्या की थी। वहीं साल 2021 में 595 किसानों ने आत्महत्या की। साल 2022 में 651 किसानों और साल 2023 में अभी तक 412 किसानों ने आत्महत्या की है।
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