बस्तर लोकसभा सीट छत्तीसगढ़ की एक अहम सीट है। साल 1951 से पहले लोकसभा चुनाव से लेकर साल 1996 तक यह सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट हुआ करती थी। लेकिन साल 1996 में पहली बार इस सीट से निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी। वहीं साल 1998 से लेकर साल 2014 तक इस सीट पर भाजपा का कब्जा रहा है। बता दें कि यह सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है।
कांग्रेस प्रत्याशी कवासी लखमा
बता दें कि फिलहाल इस सीट से कांग्रेस के दीपक बैज सांसद हैं। बता दें कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी की लहर के बाद भी उन्होंने बस्तर लोकसभा सीट से जीत हासिल की थी। हांलाकि इस बार कांग्रेस ने इस सीट पर कवासी लखमा को चुनावी मैदान में उतारा है। कवासी लखमा बस्तर संभाग में सुकमा जिले के कोंटा विधानसभा में छठवीं बार विधायक हैं। इससे पहले वह पूर्व आबकारी मंत्री भी रहे हैं।
इसके अलावा साल 1998 से लेकर साल 2023 तक उन्होंने 6 बार जीत हासिल की है। जब छत्तीसगढ़ राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी तो वह भूपेश सरकार में आबकारी और वाणिज्य मंत्री का प्रभार संभाल चुके हैं। ऐसे में कांग्रेस को उम्मीद है कि बस्तर सीट से कवासी लखमा जीत हासिल करेंगे।
बीजेपी प्रत्याशी
भाजपा ने छत्तीसगढ़ की बस्तर सीट से महेश कश्यप को मैदान में उतारा है। बता दें कि महेश कश्यप पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। महेश कश्यप विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के सक्रिय सदस्य व इन संगठनों में विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। वहीं साल 1996 में वह बजरंग दल के जिला संयोजक बने थे। ऐसे में इस बार उनका मुकाबला कवासी लखमा से हैं।
इसके अलावा साल 2014 से 2019 तक महेश कश्यप कलचा ग्राम पंचायत के सरपंच रहे और सरपंच संघ के अध्यक्ष भी रहे। वहीं राज्य सरपंच महासंघ के सह संयोजक भी रहे और भतरा समाज विकास परिषद के संभागीय सचिव रहे।
सीपीआई और बसपा प्रत्याशी
इसके अलावा बस्तर सीट से बसपा ने आयतुराम मंडावी तो वहीं सीपीआई ने फूलसिंह कचलाम को अपना प्रत्याशी बनाकर चुनावी मैदान में उतारा है। हांलाकि इस सीट से मुख्य मुकाबला बीजेपी प्रत्याशी महेश कश्यप और कांग्रेस प्रत्याशी कवासी लखमा के बीच है।
निर्दलीय उम्मीदवार प्रकाश कुमार गोटा
भाजपा और कांग्रेस के अलावा निर्दलीय उम्मीदवार प्रकाश कुमार गोटा भी चुनाव मैदान में उतर चुके हैं। बता दें कि मेडिकल की पढ़ाई पूरी कर चुके निर्दलीय उम्मीदवार प्रकाश बस्तर लोकसभा सीट से चुनाव प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने अपने चुनाव लड़ने का फैसला प्रशासन और शासन से त्रस्त है। उन्होंने कहा कि वह शासन और प्रशासन की नीतियों से तंग होकर बस्तर सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया है।