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कौन हैं शिवसेना नेता अनिल परब? भाजपा के साथ गठबंधन टूटने के बाद आए थे सुर्ख़ियों में

By LSChunav | Sep 02, 2021

शिवसेना नेता और महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री अनिल परब मंगलवार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने पेश नहीं हुए और उन्होंने दो सप्ताह का समय मांगा। आपको बता दें कि ईडी ने एक दिन पहले परब को समन जारी किया था, जिसमें उन्हें राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के लिए मंगलवार को अपने दक्षिण मुंबई कार्यालय के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया गया था।
कौन हैं अनिल परब?
अनिल परब, महाराष्ट्र विधान परिषद में तीन बार शिवसेना के विधायक हैं। उन्हें दिसंबर 2019 में मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे द्वारा राज्य मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। पेशे से वकील परब, ठाकरे परिवार के वफादार लोगों में से हैं। वह पार्टी के कानूनी मुद्दों को संभालते हैं और निकाय चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अनिल परब, 2001 से विभाग प्रमुख (मंडल प्रमुख) रहे हैं और दो डिवीजनों के साथ सौंपे जाने वाले एकमात्र नेता हैं।
परब हाल ही में चर्चा में क्यों रहे हैं?
पिछले हफ्ते एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें अनिल परब आदेश देते नजर आ रहे हैं कि बिना किसी देरी को नारायण राणे को गिरफ्तार किया जाए। सूत्रों  के मुताबिक, अनिल परब मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में थे। इस दौरान उन्होंने दो फोन पर बातचीत की। पहले उनके पास एक फोन आया और फिर उन्होंने एक पुलिस अधिकारी को फोन लगाया। वीडियो में परब यह कहते हुए सुनाई दे रहे हैं हेलो, तुम लोग क्या कर रहे हो? तुम्हें यह करना पड़ेगा। अब तक हिरासत में लिया या नहीं? वह किसके आदेश का इंतजार कर रहे हैं? हाईकोर्ट और स्पेशल कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी है। अब पुलिस फोर्स का इस्तेमाल करो। अनिल परब के बगल में बैठे एक शिवसेना विधायक ने भी कहा कि पुलिस ने अब तक राणे को हिरासत में नहीं लिया है। अनिल परब ने फिर आगे बताया कि वे अपने घर में बैठे हैं और चारों तरफ से पुलिस का पहरा है। जब पुलिस अंदर गई तो हाथापाई हुई। अब पुलिस उन्हें बाहर लेकर निकलेगी।वहीं, भाजपा ने कहा कि परब, राणे को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस पर दबाव बनाकर सत्ता का "घोर दुरुपयोग" कर रहे थे।
अनिल परब ईडी के निशाने पर क्यों है?
अगर सूत्रों की मानें तो परब को मंगलवार को ईडी के सामने पेश होने को कहा गया है। लेकिन अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि परब को क्यों तलब किया गया है। शिवसेना सांसद संजय राउत ने ट्वीट किया, 'उम्मीद के मुताबिक जन आशीर्वाद यात्रा खत्म होते ही ईडी ने अनिल परब को नोटिस भेजा है। केंद्र सरकार ने अपना काम शुरू कर दिया है। भूकंप का केंद्र रत्नागिरी (राणे की गिरफ्तारी का जिक्र) था और परब उस जिले के संरक्षक मंत्री हैं। कृपया कालक्रम को समझें। यह एक कानूनी लड़ाई है जिसे हम कानूनी रूप से लड़ेंगे।”
परब शिवसेना के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
अनिल परब को 2017 में तब प्रमुखता मिली जब शिवसेना और भाजपा ने गठबंधन तोड़ दिया और मुंबई निकाय चुनाव अलग-अलग लड़े। चुनावों के दौरान, परब ने बीएमसी में भ्रष्टाचार के आरोपों पर शिवसेना को घेरने की कोशिश सहित भाजपा के सभी हमलों का मुकाबला किया। कुछ ही महीनों के भीतर, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर परब को विधान परिषद में पार्टी के समूह के नेता के रूप में नामित किया गया था। समय के साथ मातोश्री के साथ परब की नजदीकियां बढ़ती गईं और उन्होंने पार्टी में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाकर पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे का विश्वास हासिल किया। उन्होंने 2019 में लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी की चुनावी रणनीतियों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दिसंबर 2019 में, ठाकरे ने वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर, परब को मंत्री पद दिया। तब से, वह पार्टी के संकटमोचक के रूप में उभरे हैं और कई मुद्दों पर भाजपा पर हमला करते रहे हैं। 2019 में राज्य मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद से वह पार्टी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और ठाकरे के प्रति अपनी वफादारी के कारण, परब अक्सर विपक्ष के निशाने पर रहते हैं।
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