इन 5 कारणों ने AAP को दिलाई चंडीगढ़ निकाय चुनावों में बड़ी जीत
चंडीगढ़ में आम आदमी पार्टी (AAP) का निकाय चुनावों में सबसे अधिक सीटें जीतना एक ऐसी बात थी जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी। बता दें कि निकाय चुनावों में AAP ने 14 सीटें जीतीं, बीजेपी 12 के साथ दूसरे स्थान पर रही, जबकि कांग्रेस ने आठ वार्डों में और अकाली दल ने एक पर जीत हासिल की।
चंडीगढ़ जैसे केंद्र प्रशासित शहर में हमेशा कांग्रेस या भाजपा ही सत्ता में रही है। ऐसे में आम आदमी पार्टी (AAP) का निकाय चुनावों में सबसे अधिक सीटें जीतना एक ऐसी बात थी जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी। बता दें कि निकाय चुनावों में AAP ने 14 सीटें जीतीं, बीजेपी 12 के साथ दूसरे स्थान पर रही, जबकि कांग्रेस ने आठ वार्डों में और अकाली दल ने एक पर जीत हासिल की। चंडीगढ़ नगरपालिका चुनावों में AAP की जीत के पीछे इन 5 मुख्य कारणों को माना जा सकता है -
AAP का दिल्ली मॉडल ऑफ गवर्नेंस
निकाय चुनावों में AAP की जीत के पीछे पार्टी के दिल्ली मॉडल की लोकप्रियता को एक मुख्य कारण माना जा सकता है। चंडीगढ़ के लोगों में पानी के शुल्क को लेकर व्यापक असंतोष था, जिसमें पिछले साल भाजपा के नेतृत्व में 200 गुना की वृद्धि की गई थी। ऐसे में AAP के प्रमुख वादों में से एक चंडीगढ़ में प्रत्येक परिवार को हर महीने 20,000 लीटर तक मुफ्त पानी उपलब्ध कराना था।
AAP ने स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया
निकाय चुनावों से पहले, भाजपा के कई उम्मीदवार चुनाव प्रचार के दौरान मोदी लहर पर जोर दिया। लेकिन आप के उम्मीदवारों ने उन स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया जो जमीनी स्तर पर निवासियों से जुड़े होते थे। उन्होंने लोगों से संपर्क किया और सत्ता में आने पर व्यवस्था में बदलाव लाने का वादा किया। आप उम्मीदवार मतदाताओं के साथ अच्छी तरह से जुड़े क्योंकि उन्होंने स्थानीय नागरिक मुद्दों जैसे पार्किंग, कचरा प्रबंधन, जल आपूर्ति और शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया। वहीं दूसरी ओर, भाजपा उम्मीदवारों ने प्रचार के दौरान 'जय श्री राम' जैसे नारों का इस्तेमाल करते हुए हिंदुत्व की विचारधारा के पक्ष में अपील की। स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, उन्होंने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के तहत हुए विकास कार्यों को उजागर करने का प्रयास किया।
पानी, बिजली और कचरे के ऊंचे बिल
भाजपा ने 2016 में मोदी के चेहरे का इस्तेमाल करते हुए नगरपालिका चुनावों में जीत हासिल की थी। चूंकि पार्टी ने 26 में से 21 सीटें हासिल की थी, चंडीगढ़ में भाजपा के मेयर थे। लेकिन पिछले पांच वर्षों के दौरान कचरे और पार्किंग के ऊंचे बिल, पानी की दरों और संपत्ति कर की दरों में वृद्धि के कारण चंडीगढ़ निवासियों, विशेष रूप से कॉलोनी क्षेत्रों में निवासियों में भाजपा के खिलाफ भारी असंतोष था।
शहर की सफाई में खराब प्रदर्शन
चंडीगढ़ के निवासी ना केवल पानी, बिजली और कचरे के ऊंचे बिलों से परेशान थे, बल्कि शहर की सफाई में खराब प्रदर्शन भी भाजपा के पतन का एक प्रमुख कारण था। 2016 में चंडीगढ़ देश का दूसरा सबसे स्वच्छ शहर था। लेकिन 2021 में, शहर 66वें स्थान पर आ गया, जिससे निवासियों में व्यापक असंतोष था। भाजपा द्वारा कूड़ा निस्तारण की समस्या से ठीक से निपटा नहीं गया। दादूमाजरा में कूड़ा-कचरा जमा होने के कारण अपशिष्ट निपटान या प्रसंस्करण के लिए कोई उचित तंत्र नहीं था। चंडीगढ़ हमेशा देश के सबसे स्वच्छ शहरों में गिना जाता था लेकिन अब ऐसा नहीं होने के कारण निवासियों में भारी असंतोष था। इसलिए यह एक महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा था।
कोविड -19 दूसरी लहर ने भाजपा की छवि को खराब किया
कोविड -19 की दूसरी लहर ने भी भाजपा की छवि को खराब किया क्योंकि मतदाताओं को लगता है कि उस समय अस्पताल के बिस्तर और मेडिकल ऑक्सीजन की मांग बढ़ने पर उन्हें जनप्रतिनिधियों से वांछित मदद नहीं मिली। कई लोगों का कहना है कि उस समय मौजूदा पार्षदों से संपर्क नहीं किया जा सकता था और निवासियों को समर्थन की सख्त जरूरत थी। हालांकि, उस समय स्थानीय स्तर पर कोई बड़ा राहत उपाय नहीं किया गया था।