Assam Delimitation: एससी और एसटी के लिए अल्पसंख्यों की 5 सीटें आरक्षित, जानिए राज्य में क्या-क्या बदला

LSChunav     Aug 21, 2023
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Assam Delimitation: एससी और एसटी के लिए अल्पसंख्यों की 5 सीटें आरक्षित, जानिए राज्य में क्या-क्या बदला

असम की पहली परिसीमन प्रक्रिया साल 1976 के बाद शुक्रवार को संपन्न हुई। एसटी आरक्षित सीटों की संख्या 16 से बढ़ाकर 19 हो गई है। वहीं एससी की आरक्षित सीटें 6 से बढ़ाकर 8 हो गई हैं।

असम की पहली परिसीमन प्रक्रिया साल 1976 के बाद शुक्रवार को संपन्न हुई। बता दें कि 14 लोकसभा और 126 विधानसभा क्षेत्रों को चुनाव आयोग ने सिरे से सीमांकन को अधिसूचित किया। जिनमें से कुछ के लिए युग्मित नाम और नई पहचान शामिल की गई। इसमें एक विधानसभा क्षेत्र और लोकसभा सीट भी शामिल है। राज्य के दो बाघ समृद्ध यूनेस्को विश्व धरोहर स्थलों के नाम पर यह नाम रखे गए हैं। पांच विधानसभा क्षेत्र जहां पर हमेशा अल्पसंख्यक समुदाय से विधायक चुने जाते हैं। 


अब इनमें एक सीट एससी और एसटी के लिए आरक्षित कर दिया गया है। इस दौरान एसटी आरक्षित सीटों की संख्या 16 से बढ़ाकर 19 हो गई है। वहीं एससी की आरक्षित सीटें 6 से बढ़ाकर 8 हो गई हैं। असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने दावा किया कि आखिरी अधिसूचना में राज्य सरकार की ओर से लोगों की मांगों के अनुरूप रखे गए कुछ सुझावों को स्वीकार कर लिया गया है। सीएम ने कहा कि उनके कुछ अनुरोध माने गए हैं और कुछ नहीं। सीएम सरमा ने कहा कि साल 2021 के चुनाव के दौरान भाजपा के चुनावी वादों में परिसीमर का जिक्र भी शामिल था।


असम को नहीं होगा लाभ

अपना राजनीतिक भविष्य सुरक्षित रखने के लिए विपक्षी दलों ने इसे अपनाकर सत्तारूढ़ बीजेपी की एक चाल को करार दिया। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने ट्वीट कर कहा कि 22 साल पुरानी जनगणना के आधार पर चुनाव आयोग ने 2023 में असम का परिसीमन प्रकाशित किया है। इसलिए असम को लोकसभा सीटों में हुई वृद्धि से कोई लाभ नहीं होगा। भाजपा के मतदान रुझानों के अनुरूप मौजूदा सीटों का पुनर्गठन किया गय़ा है। उन्होंने आगे लिखा कि बीजेपी नहीं चाहती है कि सीजेआई चुनाव आयोग का चयन करे।


युग्मित नाम दिए

एक रिपोर्ट के अनुसार, रिपोर्ट को आखिरी रूप देने के लिए 1200 से अधिक अभ्यावेदन पर विचार किया गया। प्राप्त सुझावों और आपत्तियों में से आयोग ने 45% का आखिरी आदेश में समाधान किया। सभी विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन राज्य में 2001 की जनगणना के आधार पर किया गया। बता दें कि साल 2021 की जनगणना के आंकड़ों पर ही इस उद्देश्य के लिए विचार किया गया है।'


नता की मांग को देखते हुए निर्वाचन आयोग ने कहा कि संसदीय और कुछ विधानसभा क्षेत्रों को युग्मित नाम दिए गए हैं। जिनमें से हाजो-सुआलकुची, बोको-चायगांव, दरांग-उदलगिरि, नागांव-बताद्रबा, भवानीपुर-सोरभोग, अल्गापुर-कतलीचेरा। आखिरी रिपोर्ट की कुछ मुख्य विशेषताओं का उल्लेख करते हुए निर्वाचन आयोग ने बताया कि सबसे निचली प्रशासनिक इकाई को ग्रामीण क्षेत्रों में 'गांव' और शहरी क्षेत्रों में 'वार्ड' के तौर पर किया गया। इसी के मुताबिक वार्ड और गांव को वैसे ही रखा गया है। राज्य में इसे कहीं भी तोड़ा नहीं गया है।


गुवाहाटी में आयोजित सार्वजनिक बैठकों के दौरान निर्वाचन आयोग ने जुलाई में मसौदा परिसीमन प्रस्ताव पर राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों, नागरिक संगठनों और आम जनता के विचारों को सुना और समझा था। जिसका आयोजन जनप्रतिनिधियों, लोगों और राजनीतिक नेताओं व अन्य हितधारकों को अपने विचारों को व्यक्त करने का मौका दिया गया था।