Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में बघेल सरकार की गौठान योजना पर लगा भष्टाचार का आरोप, जानिए क्या है पूरा मामला

अनन्या मिश्रा     Nov 11, 2023
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Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में बघेल सरकार की गौठान योजना पर लगा भष्टाचार का आरोप, जानिए क्या है पूरा मामला

छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। बता दें कि बीते दिनों भारतीय जनता पार्टी के विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने बघेल सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा का राज्य सरकान गौठान योजना के बहाने धन लूट रही है।

छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। बता दें कि बीते दिनों भारतीय जनता पार्टी के विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने बघेल सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा का राज्य सरकान गौठान योजना के बहाने धन लूट रही है। इसके साथ ही उन्होंने केंद्रीय एजेंसियों से इस मामले में जांच की मांग की है। विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि गौठानों (गांवों में मवेशियों के लिए डेकेयर सेंटर) में एक गाय के लिए 40 लाख रुपये खर्च किए हैं। इस तरह से तीन चरवाहों को एक गाय के लिए नियुक्त किया गया है। 


इतने करोड़ कहां खर्च हुए?

आपको बता दें कि विधायक अग्रवाल ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री के जवाब का हवाला देते हुए कहा कि राज्य सरकार ने गौठान योजना के तहत 1,134 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए जाने की बात स्वीकार की है। जबकि छत्तीसगढ़ में आवारा गायों की संख्या 3380 है। इसका मतलब हुआ कि एक गाय पर 40 लाख रुपए सरकार ने खर्च किए हैं। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि गायों के लिए नहीं बल्कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं की आजीविका के लिए छत्तीसगढ़ में करीब 10,240 गौठान समितियां बनाई गई हैं, 


अग्रवाल ने कहा कि मवेशी अभी भी सड़कों पर हैं। इसके साथ ही विधायक ने राज्य सरकार से पूछा कि इतने करोड़ कहां खर्च हुए हैं। पूर्व मंत्री ने जांच की जरूरत बताते हुए बघेल सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि 14वें वित्त आयोग, 15वें वित्त आयोग, मनरेगा, डीएमएफ और अन्य की राशि गौठानों पर खर्च की है। इसके अलावा मनरेगा की 816 करोड़ रुपये की राशि गौठानों में खर्च की गई है। साथ ही अन्य कई योजनाओं की राशि भी गौठानों में खर्च की गई है।


जानकारी के लिए बता दें कि भूपेश बघेल सरकार द्वारा गोधन न्याय योजना साल 2020 में शुरु की गई थी। छत्तीसगढ़ के किसान और पशुपालक इस योजना के तहत राज्य सरकार को 2 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से गोबर बेचते हैं। राज्य सरकार की गोधन न्याय योजना उनके लिए आय का अतिरिक्त स्त्रोत बन गई है। इसके अलावा इस योजना से चराई की समस्या को भी हल करने में मदद मिलती है।