राजस्थान विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने नए फॉर्मूले पर शुरू किया काम, संगठन में नए चेहरों को दी जा रही जगह
राजस्थान में विधानसभा चुनाव के 8 महीने पहले गुजरात वाले फॉर्मूले पर काम करना शुरू कर दिया है। भाजपा गुजरात वाले फॉर्मूले पहले तलाश, फिर तराश वाले फॉर्मूले को राजस्थान में भी अपना रही है। पार्टी ने राज्य संगठन का पूरी तरह से चेहरा बदल दिया है।
गुजरात में विधानसभा चुनाव से पहले ज्यादातर स्टैंडिंग मंत्री-विधायकों के टिकट काट दिए गए थे। भाजपा का यह फॉर्मूला सफल भी रहा था। गुजरात में इस फॉर्मूले के सफल होने के बाद भाजपा ने राजस्थान में विधानसभा चुनाव से 8 महीने पहले अपने नए प्लान पर काम शुरू कर दिया है। भाजपा का फॉर्मूला है पहले तलाश, फिर तराश...। यही कारण है कि प्रदेश भाजपा ने बीते 10 दिनों के अंदर संगठन का पूरी तरह से चेहरा बदल दिया है। प्रदेशाध्यक्ष पर पहले सांसद सीपी जोशी को नियुक्त किया। वहीं सदन में नेता प्रतिपक्ष की कमान राजेंद्र राठौड़ और उपनेता का पद पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां सौंप दी।
नए चेहरों की तलाश
संगठन में चुनाव से पहले चेहरों को तलाशने और इसके बाद जिम्मेदारी के लिए तराशने का काम तेजी से किया जा रहा है। भले ही चुनाव मैदान में पार्टी पीएम मोदी के चेहरे और केंद्र की योजनाओं के बल पर उतरेगी। लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी को एक और बड़े पद पर नियुक्ति करनी है। विधानसभा चुनाव की तैयारियों और टिकट वितरण के लिए चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष का चयन किया जाना है। समिति के अध्यक्ष की चुनाव प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। ऐसे में अंदेशा लगाया जा रहा है कि यह जिम्मेदारी राज्य के किसी बड़े नेता को सौंपी जा सकती है।
शीर्ष संगठन पर टिकीं निगाहें
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और अर्जुन राम मेघवाल का नाम इस पद के लिए सबसे आगे चल रहा है। हालांकि प्रचार समिति के अध्यक्ष के चुनाव में करीब 3 से 4 महीने का समय लग सकता है। केंद्र की ओर से प्रदेश में नियुक्त संगठन पदाधिकारियों पर भी बदलाव के फॉर्मूले का असर पड़ेगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार, चुनाव से पहले प्रदेश संगठन महामंत्री चंद्रशेखर या प्रभारी अरुण सिंह के पद को बदला जा सकता है। बता दें कि अरूण सिंह के पास कर्नाटक समेत अन्य राज्यों का भी प्रभार है। ऐसे में अन्य राज्यों पर अपना पूरा फोकस करने के लिए उन्हें फ्री किया सकता है। वहीं इस पद पर महामंत्री चंद्रशेखर को भी 5 साल से अधिक हो गया है।
वोटरों को साधने की कोशिश
साल 2018 के चुनाव के दौरान पार्टी को कुछ समाजों की दूरी होने या नाराजगी के कारण विधानसभा में नुकसान हुआ था। ऐसे में इस बार पार्टी सोशल इंजीनियरों पर अपना पूरा फोकस बनाए हुए है। पार्टी ने किसान कौम से प्रदेशाध्यक्ष, उपराष्ट्रपति और केंद्रीय मंत्री समेत कई अन्य नेताओं के चेहरों को आगे रखा है। वहीं आनंदपाल एनकाउंटर से नाराज राजपूतों को केंद्रीय मंत्री से लेकर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी बनाया गया है। पार्टी ने हर समुदाय के लोगों को साधने का प्रयास किया है।