Chhattisgarh News: सीएम भूपेश बघेल ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, 76 फीसदी आरक्षण के लिए कही ऐसी बात
छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने पिछले 4 दिनों के अंदर पीएम मोदी को तीसरी बार पत्र लिखा है। बता दें कि इस बार सीएम बघेल ने छत्तीसगढ़ आरक्षण संशोधन विधेयक को लेकर पीएम मोदी को पत्र लिखा है।
छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने पिछले 4 दिनों के अंदर पीएम मोदी को तीसरी बार पत्र लिखा है। बता दें कि इस बार सीएम बघेल ने छत्तीसगढ़ आरक्षण संशोधन विधेयक को लेकर पीएम मोदी को पत्र लिखा है। उन्होंने इस पत्र के जरिए पीएम मोदी से पिछड़ा वर्गों के लिए अलग से कोड निर्धारित करते हुए राष्ट्रीय जनगणना किए जाने का आग्रह किया है। इसके अलावा सीएम बघेल ने स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाने के लिए एनएमडीसी का मुख्यालय जगदलपुर शिफ्ट किए जाने का आग्रह किया है। बता दें कि एनएमडीसी का मुख्यालय हैदराबाद में है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में कई विषयों पर जिक्र किया गया है। लेकिन सबेस अहम विषय छत्तीसगढ़ में 76 फीसदी आरक्षण विधयेक का है। बता दें कि पिछले साल दिसंबर महीने से राजभवन में अटका है। राज्य सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर एसटी वर्ग को 32 फीसदी, एससी को 13 फीसदी, ओबीसी को 27 फीसदी और ईडब्ल्यूएस को 4 फीसदी आरक्षण देने का विधेयक पारित किया था। लेकिन इस विधेयक को राज्यपाल से अभी तक मंजूरी नहीं मिली है।
ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण की मांग
प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा कि अन्य पिछड़ा वर्गों के आरक्षण जैसे अहम और संवेदनशील मुद्दे पर देरी नहीं करती चाहिए। इसलिए अतिशीघ्र पहल कर इस मामले पर सकारात्मक निर्णय लेने का कष्ट करें। सीएम बघेल ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य में मेरे द्वारा अप्रैल 2023 में अन्य पिछड़ा वर्ग के व्यक्तियों को 27 फीसदी आरक्षण का लाभ दिए जाने की घोषणा की गई दी।
वहीं इस संविधान की 9वीं अनुसूची में इस विषय को शामिल करने को लेकर पीएम से अनुरोध किया गया था। उन्होंने कहा कि संविधान प्रदत्त समानता और सामाजिक न्याय की भावना के अनुरूप सदियों से सामाजिक-राजनीतिक अधिकारों से वचित बड़ी आबादी को आरक्षण का लाभ दिया जाना जरुरी है।
पीएम मोदी को लिखे पत्र में सीएम बघेल ने कहा कि दिसंबर 2022 में राज्य विधानसभा द्वारा सर्वसम्मति से पारित विधेयक में प्रदेश की अनुसूचित जातियों को 13 फीसदी, अनुसूचित जनजातियों को 32 फीसदी, अन्य पिछड़ा वर्गों 27 फीसदी और ईडब्ल्यूएस के लिए 4 फीसदी आरक्षण लागू करने के संबंध में विधेयक पारित किया गया था। लेकिन अभी तक वह विधेयक राजभवन में अनुमोदन के लिए लंबित है।