Haryana Corruption: हरियाणा में नहीं रुक रहा भ्रष्टाचार का सिलसिला, झूठे साबित हो रहे सरकार के दावे

LSChunav     Nov 23, 2023
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Haryana Corruption: हरियाणा में नहीं रुक रहा भ्रष्टाचार का सिलसिला, झूठे साबित हो रहे सरकार के दावे

भले ही हरियाणा सरकार राज्य में भ्रष्टाचार खत्म करने का दावा करती आई हो। लेकिन सच्चाई यह है कि प्रदेश के अधिकारी और कर्मचारी रिश्वत लेने और मांगने से बाज नहीं आ रहे हैं। हरियाणा में हर दूसरे दिन भ्रष्टाचार के मामलों में कर्मचारियों और अधिकारियों की गिरफ्तारी की जा रही है।

भले ही हरियाणा सरकार राज्य में भ्रष्टाचार खत्म करने का दावा करती आई हो। लेकिन सच्चाई यह है कि प्रदेश के अधिकारी और कर्मचारी रिश्वत लेने और मांगने से बाज नहीं आ रहे हैं। आपको बता दें कि राज्य के एंटी करप्शन ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, हरियाणा में हर दूसरे दिन भ्रष्टाचार के मामलों में कर्मचारियों और अधिकारियों की गिरफ्तारी की जा रही है।

 

इनमें खास बात यह है कि न सिर्फ राजस्व विभाग, मंडी बोर्ड, पुलिस, आईटीआई और स्कूलों के प्रिंसिपल तक ही भ्रष्टाचारों के मामलों में पकड़े गए हैं। बल्कि पिछले कुछ समय की बात करें तो पुलिस अधिकारी, पटवारी, आईटीआई प्रिंसिपल, ग्राम सचिव और ऑक्शन रिकॉर्डर समेत कई अन्य भी लोग भी भ्रष्टाचार के मामलों में आरोपी पाए गए हैं।


नौकरी के नाम पर भ्रष्टाचार

राज्य सरकार की तरफ से कच्ची भर्तियों को लेकर हरियाणा कौशल रोजगार निगम का गठन किया गया। इसमें पहले से कच्चे कर्मचारियों को तैनात कर अन्य विभागों में समायोजित किया जा रहा है। वहीं इसकी जगह कई विभागों में भ्रष्टाचार चल रहा है। इस मामले में पुलिस ने आईटीआई भिवानी के प्राचार्य को गिरफ्तार किया। आरोप है कि राज्य कौशल रोजगार निगम के तहत लगे कर्मचारियों को नौकरी पर बने रहने के लिए रिश्वत की मांग की जा रही थी। इसके अलावा अन्य विभागों से भी ब्यूरों के पास ऐसी शिकायतें पहुंच रही हैं। 


साल 2022 पर एक नजर डालें तो विजिलेंस ब्यूरो ने कुल 170 जगहों पर छापेमारी की थी। जिस दौरान 220 सरकारी अधिकारियों, प्राइवेट व्यक्तियों और कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया था। इस दौरान आरोपियों के पास से 2,000 रुपए से लेकर 5 लाख रुपए तक की घूस बरामद की गई थी। इसके साथ ही 19 विशेष जांच और तकनीकी जांचों की रिपोर्ट भी ब्यूरो ने सरकार को भेजी। प्राप्त जानकारी के अनुसार, 11 कार्यों में 28 राजपत्रित अधिकारियों व 13 अराजपत्रित अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई किए जाने की सिफारिश की गई थी।