West Bengal: सरकार और राजभवन एक बार फिर आए आमने-सामने, राज्यपाल की अधिसूचना पर शुरू हुआ विवाद

LSChunav     Apr 08, 2023
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West Bengal: सरकार और राजभवन एक बार फिर आए आमने-सामने, राज्यपाल की अधिसूचना पर शुरू हुआ विवाद

बंगाल में राज्यपाल सीवी आनंद बोस के आगमन के बाद पिछले राज्यपाल जगदीप धनखड़ और राज्य सचिवालय के बीच लंबे टकराव के अंत के संकेत मिले थे। लेकिन एक बार फिर इस टकराव पर संशय के बादल छाने लगे हैं।

बंगाल के पिछले राज्यपाल जगदीप धनखड़ के साथ राज्य सचिवालय के बीच चल रहे लंबे टकराव पर एक बार फिर संशय के बादल मंडराने लगे हैं। हालांकि इससे पहले राज्यपाल सीवी आनंद बोस के आगमन पर इस टकराव के अंत के संकेत मिले थे। लेकिन एक बार फिर इस टकराव के संशय की जड़ राजभवन की नई अधिसूचना बताई जा रही है। जिसके मुताबिक प्रदेश के विश्वविद्यालयों को किसी भी वित्तीय मामले में अब राजभवन की सहमति लेना अनिवार्य होगी। 


शिक्षा मंत्री ने उठाए सवाल

वहीं  राज्यपाल की अधिसूचना की कानूनी वैधता पर शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने सवाल उठाए हैं। शिक्षा मंत्री बसु ने कहा कि इस अधिसूचना को राजभवन को वापस लेना होगा। बता दें कि अब तक जो प्रणाली अपनाई जा रही है। उसके अनुसार, राज्य के विश्वविद्यालय राज्य शिक्षा विभाग के जरिए से वित्तीय मामलों और नियुक्ति संबंधी जैसे अहम निर्णय लेते हैं। बाद में इन मामलों को राज्यपाल की सहमति के लिए भेजा जाता है। लेकिन हाल ही में जारी अधिसूचना में यह साफ किया गया कि राज्य के विश्वविद्यालयों को वित्तीय निर्णय जैसे महत्वपूर्ण मामले में राजभवन की सहमति लेना अनिवार्य होगा।


राजभवन ने जारी की नई अधिसूचना

इसके अलावा अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि कुलपतियों को विश्वविद्यालयों के समग्र कामकाज पर साप्ताहिक रिपोर्ट भी पेश करनी होगी। राजभवन से यह निर्देश विश्वविद्यालय के कुलपतियों को दिए जा चुके हैं। जिसके बाद राज्य के शिक्षा मंत्री ने राज्यपाल की अधिसूचना की वैधता पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि सबसे पहले हमें यह देखना होगा कि यह वैध हैं या नहीं। इस मामले में शिक्षा मंत्री ने उच्च शिक्षा विभाग के सचिव को कानूनी सलाह लेने को कहा है।


राज्यपाल और प्रदेश सरकार के बीच टकराव की स्थिति

राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य के मुताबिक उच्च शिक्षा विभाग को पूरी तरह अंधेरे में रखकर यह पत्र कुलपतियों को भेजा गया है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार को बिना बताए क्या अधिसूचना जारी की जा सकती है। राजभवन को इस अधिसूचना को वापस लेना होगा। वहीं अन्य खेमों में यह सवाल फिर से खड़ा हो गया है कि क्या पिछले राज्यपाल धनखड़ की तरह नए राज्यपाल का भी राज्य से टकराव शुरू हो गया है। वहीं राजभवन के इस फैसले का राज्य की बीजेपी पार्टी ने स्वागत किया है। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष का कहना है कि शिक्षा क्षेत्र में भ्रष्टाचार के कई मामलों के बीच यह सही कदम उठाया गया है।