Bihar Politics: बिहार कांग्रेस में फिर मचा अंदरूनी घमासान, जानिए नेता पद से क्यों हटाए गए अजित शर्मा

बिहार में कांग्रेस की अंदरुनी राजनीति में काफी घमासान मचा हुआ है। कांग्रेस विधायक दल के नए नेता के चुनाव के बाद से पार्टी का माहौल गरम है। वहीं सीएलपी लीडर अजित शर्मा ने बताया कि उन्हें इस फैसले की जानकारी नहीं थी।
बिहार में एक पार्टी के दो भूमिहार यानी की एक म्यान में दो तलवार जैसी स्थिति बनकर तैयार हो गई है। बिहार में एक बार फिर कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति में उठा-पटक मची हुई है। वहीं 2024 लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव के मौके पर पार्टी के अंदर घमासान मचा हुआ है। हाल ही में एक फैसले ने राज्य कांग्रेस में गर्माहट भरने का काम किया है। बता दें कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने एक अहम फैसले के लिए प्रदेश कांग्रेस विधायकों की बैठक बुलाई थी।
इस बैठक के दौरान सीएलपी लीडर के पद से अजित शर्मा को हटा दिया गया और उनकी जगह अहमद खान को कांग्रेस विधायक दल का नेता चुना गया। हालांकि इस बैठक में 19 में से 11 विधायक शामिल नहीं हुए थे। वहीं 8 विधायकों की उपस्थिति में विधायक दल के नेता अजित शर्मा को सीएलपी लीडर के पद से हटाकर शकील अहमद को नेता चुना गया। पार्टी वरिष्ठों के अनुसार, पार्टी में यह स्थिति तो बननी ही थी। क्योंकि एक कहावत है कि एक म्यान में दो तलवारें नहीं रह सकती हैं।
बता दें कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह और सीएलपी लीडर अजित शर्मा दोनों एक ही जाति से आते हैं। हालांकि दोनों के राजनीतिक धरातल अलग-अलग हैं। इसलिए कहा जा रहा है कि प्रदेश कांग्रेस में जो हुआ वह पहले से ही तय था। वहीं अजित शर्मा ने मामले पर बात करते हुए बताया कि उन्हें विधायक दल के नेता पद से क्यों हटाया गया। उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। इसके अलावा अजित शर्मा को विधानमंडल दल की बैठक की सूचना भी नहीं दी गई थी। वह इस पद पर ढाई साल तक बने रहे थे।
कर्नाटक में जीत हासिल करने के बाद कांग्रेस पार्टी अति उत्साहित है। वहीं कांग्रेस मुस्लिम वोट के आधार पर सत्ता पलट कर सकती है। राज्य में 16 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं। बताया जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने आलाकमान को यह समीकरण समझाकर अजित शर्मा को बड़ी सफाई से अपने रास्ते से हटाया है। लेकिन प्रदेश कांग्रेस में चल रही इस अंदरूनी उठापटक को लेकर केंद्रीय नेतृत्व भी चिंतित है। जिसके बाद आलाकमान ने मिशन डैमेज कंट्रोल चलाया है। वहीं अजित शर्मा को उनके पद से हटाए जाने के बाद यह आश्वासन दिया गया है कि हार में मंत्रिपरिषद विस्तार में उनको मंत्री पद दिया जाएगा।
वहीं राज्य में जब इससे पहले गठबंधन की सरकार बन रही थी। तब भी अजित शर्मा का स्थान मंत्रीपरिषद में पक्का माना जा रहा था। लेकिन मुस्लिम-दलित फॉमूले के तहत कांग्रेस ने अजित शर्मा को मंत्री परिषद से बाहर रखा। वहीं अब एक बार फिर ऐसी चर्चा हो रही है कि सवर्ण मतदातों को ध्यान में रख कर अजित शर्मा को मंत्री बनाया जा सकता है।। लेकिन इसी बात से प्रदेश कांग्रेस के अंदर घमासान मचा हुआ है। इसके अलावा यह भी बताया जा रहा है कि महन मोहन झा ने भी सवर्ण कोटे से मंत्री पद की दावेदारी पेश की है।