जानिए कहाँ बनती है चुनाव में इस्तेमाल होने वाली स्याही

Priya Mishra     Aug 20, 2021
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जानिए कहाँ बनती है चुनाव में इस्तेमाल होने वाली स्याही

मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड कर्नाटक के मैसूर शहर में स्थित एक कंपनी है। यह भारत की एकमात्र कंपनी है जो चुनाव में इस्तेमाल होने वाली स्याही का उत्पादन करने के लिए अधिकृत है। इस कंपनी की स्थापना मैसूर के तत्कालीन महाराजा नलवाड़ी कृष्णराजा वोडेयार ने 1937 में स्थानीय रोजगार बढ़ाने के लिए की थी।

भारत में 18 वर्ष की उम्र के ऊपर के सभी नागरिकों को मतदान करने का अधिकार है। मतदान के बाद, मतदाता की उंगली के नाखून पर अमिट स्याही लगाई जाती है। इस स्याही का निशान बताता है कि किसने वोट डाला है और किसने नहीं। यह निशान 15 दिनों से पहले नहीं मिट सकता और इससे यह सुनिश्चित होता है कि कोई मतदाता एक बार से ज़्यादा बार मतदान न कर पाए। पहली बार ये अमिट स्याही 1962 के आम चुनाव में इस्तेमाल हुई थी ताकि मतदान में फजीवाड़ा रोका जा सके। आइए जानते हैं कि यह स्याही कहाँ बनती है-

मैसूर पेंट्स एंड वार्निश लिमिटेड कर्नाटक के मैसूर शहर में स्थित एक कंपनी है। यह भारत की एकमात्र कंपनी है जो चुनाव में इस्तेमाल होने वाली स्याही का उत्पादन करने के लिए अधिकृत है। इस कंपनी की स्थापना मैसूर के तत्कालीन महाराजा नलवाड़ी कृष्णराजा वोडेयार ने 1937 में स्थानीय रोजगार बढ़ाने के लिए की थी। लेकिन आजादी के बाद से इस कंपनी का संचालन कर्नाटक सरकार द्वारा किया जाता है। सन 1962 में, चुनाव आयोग ने कानून मंत्रालय, राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला और राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम के सहयोग से लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए अमिट स्याही की आपूर्ति के लिए मैसूर पेंट्स के साथ एक समझौता किया था। तब से यह भारत में सभी चुनावों के लिए स्याही की आपूर्ति कर रहा है।  

बिजनेस इनसाइडर के अनुसार, तब से कंपनी रक्षा मंत्रालय के लिए सील वैक्स बनाती है और युद्ध टैंकों के लिए पेंट की आपूर्ति करती है। इस स्याही में सिल्वर नाइट्रेट का इस्तेमाल होता है, जिससे धूप के संपर्क में आते ही यह स्याही और ज्यादा पक्की हो जाती है। मैसूर पेंट्स दुनिया भर के 30 से अधिक देशों में अमिट स्याही का निर्यात भी करता है। यह स्याही सिंगापुर, थाइलैंड, नाइजीरिया, मलेशिया, पाकिस्तान, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका सहित कई देशों को भेजी जाती है।