Ladakh News: दरकते हिमालय के कारण खतरे की जद में लद्दाख, प्राकृतिक घटनाओं का बढ़ा खतरा

LSChunav     Sep 27, 2023
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Ladakh News: दरकते हिमालय के कारण खतरे की जद में लद्दाख, प्राकृतिक घटनाओं का बढ़ा खतरा

खास तौर पर मध्य हिमालय क्षेत्र में और हिमाचल में रहने वाले लोगों को दरकते पहाड़ों और हिमस्खलन से सबसे ज्यादा खतरा होता है। भारत में पृथ्वी पर सबसे ऊंची पर्वत शृंखला हिमालय है। भारतीय प्लेट के उत्तर की तरफ बढ़ने से चट्टानों पर लगातार दबाव पड़ता है। जिससे चट्टान भुरभुरी और कमजोर हो जाती हैं।

दरकते पहाड़ों और हिमस्खलन से सबसे ज्यादा खतरा हिमालय और खास तौर पर मध्य हिमालय क्षेत्र में रहने वाले लोगों को है। यह खतरा ना सिर्फ वर्तमान बल्कि भविष्य में भी बना रहेगा। वैज्ञानिकों की मानें तो यह पूरा क्षेत्र बहुत संवेदनशील है। भारत में पृथ्वी पर सबसे ऊंची पर्वत शृंखला हिमालय है। भारतीय और यूरेशियाई प्लेटों के टकराने के कारण ऐसी स्थिति बनी है। भारतीय प्लेट के उत्तर की तरफ बढ़ने से चट्टानों पर लगातार दबाव पड़ता है। जिससे चट्टान भुरभुरी और कमजोर हो जाती हैं।


इस कारण से लगातार भूस्खलन की घटनाओं में इजाफा हो रहा है और भूकंप का खतरा भी बढ़ा है। भूस्खलन और हिमस्खलन की घटनाएं न सिर्फ जलवायु परिवर्तन के कारण केवल बढ़ेंगी, बल्कि यह बेमौसम का कहर भी बरसाएंगी। एक शोध के मुताबिक अब भूस्खलन की दृष्टि से हिमाचल,उत्तराखंड और लद्दाख बेहद खतरनाक श्रेणी में आ चुके हैं। उत्तर-पश्चिम हिमालय का योगदान देश के कुल भूस्खलन के मामलों में 67 प्रतिशत के करीब है। 


विशेषज्ञों का हिमाचल और उत्तराखंड में हो रही भूस्खलन की घटनाओं के बारे में बताते हैं कि हिमालय में अवैज्ञानिक निर्माण, घटते वन क्षेत्र और नदियों के पास पानी के प्रवाह को रोकने वाली संरचनाएं भूस्खलन की घटनाओं का कारण बन रही है। चट्टानों के कटाव और जल निकासी की उचित व्यवस्था की कमी के कारण हिमाचल व उत्तराखंड और लद्दाख में ढलानें भूस्खलन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हो गई।


एक रिपोर्ट के अनुसार, 2000 से 2017 के बीच हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड और लद्दाख में 20,196 भूस्खलन की घटनाएं हुईं। राज्य में 17,120 भूस्खलन के जोखिम वाले स्थल हैं। उत्तराखंड में 11219, जम्मू कश्मीर में 7280 हिमाचल प्रदेश में 1674 और लद्दाख में 23 घटनाएं हुई हैं।