9 Years Of Modi Government: बीते 9 सालों में पीएम मोदी ने आदिवासी-जनजातीय समाज को दिए 700 से अधिक एकलव्य स्कूल
प्रधानमंत्री मोदी का अनुभव आदिवासी-जनजातीय समाज के साथ तब से है, जब वह राजनीति में सक्रिय भी नहीं थे। इसी वजह से वह आदिवासी जनजातीय समाज की दुश्वारियों को बेहतर तरीके से समझते हैं। 2014 में केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद अब तक 500 से ज्यादा एकलव्य स्कूल बनाए जा चुके हैं।
प्रधानमंत्री मोदी का अनुभव आदिवासी-जनजातीय समाज के साथ तब से है, जब वह राजनीति में सक्रिय भी नहीं थे। उस दौरान नरेंद्र मोदी एक प्रचारक के तौर पर भी काम करते थे। शायद यही कारण है कि मोदी आदिवासी जनजातीय समाज की दुश्वारियों को बेहतर तरीके से समझते हैं। कांग्रेस सरकार में एकलव्य स्कूलों की संख्या सिर्फ 90 थी। लेकिन साल 2014 में केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद अब तक 500 से ज्यादा एकलव्य स्कूल बनाए जा चुके हैं। वहीं 30 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स को छात्रवृत्ति दी गई है। यह मोदी सरकार के 9 साल के गौरवशाली 9 साल रहे हैं।
मिशन मोड में काम कर रही मोदी सरकार
पीएम मोदी जानते हैं कि आदिवासी समाज के विकास से ही सबका विकास संभव है। इसी वजह से केंद्र की मोदी सरकार ने बीते कुछ सालों में आदिवासी जनजातीय समाज के लिए मिशन मोड में काम कर रही है। ताकि आदिवासियों के जीवन के सभी आयामों को बेहतर तरीके से विकसित किया जा सकता है। इसकी एक झलक आम बजट में भी देखने को मिली थी। बता दें कि आम बजट के दौरान वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने जनजातीय मामलों के लिए 15,000 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं।
पहले से बेहतर हुआ जनजातीय जीवन स्तर
बता दें कि राशि पिछले साल की बजट राशि से लगभग पांच गुना ज्यादा थी। केंद्र सरकार के अहम कदमों में सबसे प्रमुख कदम आदिवासी जनजातीय समाज से आने वाली श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद पर आसीन करना शामिल है। सामाजिक गौरव के अलावा जनजातीय लोगों का जीवन स्तर पहले से काफी ज्यादा अच्छा रहा है। आदिवासी बच्चों का शिक्षा के मोर्चे पर प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा तक में इनरोलमेंट बढ़ा है।
500 से ज्यादा खुले एकलव्य स्कूल
अगर आप साल 2004 से 2014 के बीच की बात करें तो इस दौरान 90 एकलव्य स्कूल खुले थे। वहीं साल 2014 से 2022 तक केंद्र की मोदी सरकार ने 500 से ज्यादा ‘एकलव्य स्कूल’ स्वीकृत किए गए। वहीं 400 से ज्यादा एकलव्य स्कूलों में पढ़ाई भी शुरू हो चुकी है। वहीं इन स्कूलों में 1 लाख से ज्यादा जनजातीय बच्चे पढ़ाई करने लगे। शिक्षा के मैदान में आदिवासी युवाओं के सामने सबसे बड़ी चुनौती भाषा की होती आई है। लेकिन नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा में शिक्षा का ऑप्शन खोल दिया गया है।
अब आदिवासी छात्र मातृभाषा में कर सकेंगे पढ़ाई
इस वजह से आदिवासी बच्चे, आदिवासी युवा अपनी मातृभाषा में पढ़ाई कर सकेंगे। अगले तीन सालों में 3.5 लाख आदिवासी छात्रों वाले 740 एकलव्य माडल आवासीय विद्यालयों में करीब 38,800 अध्यापकों और सहायक कर्मचारियों की नियुक्ति केंद्रीय रूप से की जाएगी। इसके अलावा 5 छात्रवृत्ति योजनाओं के तहत 2500 करोड़ रुपए से ज्यादा के वार्षिक बजट के साथ हर साल 30 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप दी जाती है।