Madhya Pradesh:कई बार बदली हैं सिंधिया राजपरिवार ने पार्टियां, आज भी सियासी दबदबा कायम है

LSChunav     Mar 27, 2024
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Madhya Pradesh:कई बार बदली हैं सिंधिया राजपरिवार ने पार्टियां, आज भी सियासी दबदबा कायम है

मध्य प्रदेश के ग्वालियर के पूर्व शाही परिवार के प्रभावशाली सदस्य सिंधिया जब अपने गृह क्षेत्र में चुनावी लड़ाई लड़ने की बात आती है तो वह विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच जुड़ जाते हैं। अब केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अब इस ट्रेडिशन को आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने एमपी की गुना लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार के रुप में अपना नामांकान दर्ज कर दिया है।

सिंधिया राजपरिवार ने काफी समय से अपने गृह क्षेत्र में चुनावी लड़ाई में कई राजनीतिक दलों के बीच आसानी से चले जाते है अब इसी परंपरा को कायम रखतें हुए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया इस बार का लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। बस फर्क इतना है कि इस बार ईवीएम पर उनके नाम के आगे चुनाव चिन्ह कमल का होगा। बता दें कि, 53 साल के ज्योतिरादित्य सिंधिया विजया राजे सिंधिया के पोते और पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत माधवराव सिंघिया के बेटे हैं। गुना लोकसभा सीट जो सिंधिया परिवार के गृह क्षेत्र का हिस्सा है, जिसमें ग्वालियर भी शामिल है। 

2019 के चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया को हार का सामना करना पड़ा था, उनके सामने काफी पुराने केपी यादव ने उन्हें लगभग 1.26 लाखस  वोटों के अंतर पर हरा दिया था। वहीं इस बार के लोकसभा चुनाव 2024 में सिंधिया फिर से चुनावी मैदान में उतरने जा रहे हैं। इस बार वह भाजपा पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ेंगे।

माधवराव सिंधिया ग्वालियर से 5 बार चुने गए 

गुना संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व राजमाता सिंधिया ने 6 बार किया, जबकि उनके बेटे माधवराव सिंधिया ने 4 बार यहां से जीत हासिल की। गुना के अलावा राजमाता सिंधिया ने ग्वालियर से भी लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया था। वहीं माधवराव सिंधिया ग्वालियर से 5 बार चुने गए। राजमाता सिंधिया की बेटी यशोधरा राजे ने भी बीजेपी के लिए दो बार लोकसभा में ग्वालियर सीट का प्रतिनिधित्व किया।

ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी में शामिल हुए थे

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 2002 से 2024 के बीच 4 बार गुना सीट का प्रतिनिधित्व किया है, जिसमें उपचुनाव में जीत भी शामिल है। 2019 के लोकसभा चुनाव में हारने के एक साल बाद वह मार्च 2020 में 22 कांग्रेस विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हो गए, जिससे मध्य प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई।

1984 में केंद्रीय मंत्री की बुआ और राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को भिंड लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर हार का सामना करना पड़ा था।