Tribal Affairs: आदिवासियों के कल्याण के लिए मोदी सरकार ने उठाए कई अहम कदम

LSChunav     Mar 22, 2024
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Tribal Affairs: आदिवासियों के कल्याण के लिए मोदी सरकार ने उठाए कई अहम कदम

पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकार जनजातीय समुदाय के कल्याण के लिए 89 हजार रुपए खर्च कर रही है। केंद्र सरकार पिछड़े वर्ग और आदिवासियों के कल्याण के लिए संकल्पित है। मोदी सरकार में आदिवासी समुदाय के विकास के लिए कई कदम उठाए गए हैं।

पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकार जनजातीय समुदाय के कल्याण के लिए 89 हजार रुपए खर्च कर रही है। केंद्र सरकार पिछड़े वर्ग और आदिवासियों के कल्याण के लिए संकल्पित है। इसकी एक झलक तब देखने को मिली, जब केंद्रीय बजट 2023-2024 में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने जनजातीय मामलों के लिए 15,000 करोड़ रुपये आवंटित किए। वहीं पिछले साल से के मुकाबले यह राशि पांच गुना अधिक थी। वहीं केंद्र सरकार ने 1,32,000 करोड़ रुपये आदिवासी कल्याण पर खर्च किए गए हैं।


आपको बता दें कि मोदी सरकार में आदिवासी समुदाय के विकास के लिए कई कदम उठाए गए हैं। मोदी सरकार के प्रयासों के कारण ही यूएन ने 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित किया है। मिलेट्स में कई पोषक गुण हैं, जिसका फायदा देश के आदिवासी समुदाय को हुआ। वहीं पिछले 8 सालों में मोदी सरकार ने आदिवासी कल्याण के लिए बजट में काफी बढ़ोतरी की। साल 2014 में जहां 19000 करोड़ बजट का प्रावधान किया जाता था। वह भाजपा सरकार में बढ़कर 91 हजार करोड़ रुपये से अधिक हो गया। 


वहीं मोदी सरकार ने आदिवासियों के गौरव के लिए बिरसा मुंडा की जयंती को 'आदिवासी गौरव दिवस' मनाया जाने लगा। साथ ही देश भर में 10 आदिवासी म्यूजियम भी खोले। वहीं देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखती हैं। वहीं मोदी सरकार ने देश के विभिन्न हिस्सों के आदिवासी नायकों को भी चिह्नित किया। इसके साथ ही स्थानीय भाषाओं को भी बढ़ावा दिया गया। आदिवासी समुदाय को इसका भी फायदा मिल रहा है। 


इसके अलावा जनजातीय समुदाय के लोगों को मोदी सरकार की विभिन्न लाभार्थी योजनाओं का फायदा मिला। जनजातीय इलाकों का विकास होने के कारण देश में नक्सली समस्याओं पर भी नकेल कसी जा चुकी है। आदि समाज को सशक्त करने के लिए कई राजनीतिक और सामाजिक कदम भी उठाए गए। 


बता दें कि साल 2014 से 2022 तक मोदी सरकार ने 500 से अधिक एकलव्य स्कूल स्वीकृत किए हैं। इनमें से करीब 400 से अधिक स्कूलों में पढ़ाई भी शुरू हो चुकी है। इन स्कूलों में करीब 1 लाख से अधिक जनजातीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। वहीं आज अलग-अलग राज्यों में 80 लाख से ज्यादा सेल्फ हेल्फ ग्रुप काम कर रहे हैं। इनमें से करीब सवा करोड़ से अधिक सदस्य जनजातीय समाज से हैं और इनमें महिलाएं भी बड़ी संख्या शामिल है।