नीतीश सरकार का बड़ा दांव ; राबड़ी देवी के बाद अब तेज प्रताप यादव को भी सरकारी बंगला खाली करने का आदेश

बिहार की राजनीति में नया विवाद खड़ा हो गया है, जहां राबड़ी देवी और तेज प्रताप यादव को सरकारी आवास खाली करने का आदेश मिला है। चुनावी हार के बाद लालू परिवार पर दबाव बढ़ रहा है, और इस फैसले को जदयू-भाजपा गठबंधन के बढ़ते प्रभाव से भी जोड़ा जा रहा है।
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए को प्रचंड जीत मिली है। जिसके बाद एनडीए की सरकार फिर से सत्ता में वापिस आ चुकी है। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को लगभग दो दशक बाद 10 सर्कुलर रोड स्थित उनके लंबे समय से सरकारी आवास को खाली करने को कहा है और उन्हें हार्डिंग रोड स्थित मकान संख्या 39 में पुनः आवंटित कर दिया है। उनके बेटे तेज प्रताप यादव को भी 26 एम स्ट्रैंड रोड स्थित आवास खाली करने का निर्देश दिया गया है, जो अब अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री लखेंद्र कुमार रोशन को आवंटित कर दिया गया है।
रोहिणी आचार्य ने एक्स पर किया पोस्ट
चुनाव में राजद को मिली करारी हार के बाद, लालू यादव का परिवार काफी विवाद में नजर आया है। चुनाव में हार मिलने के बाद रोहिणी आचार्य ने तो यह तक कह दिया था कि वह राजनीति को छोड़ रही है। वहीं, लालू परिवार से आपसी कलह होने के चलते भी उन्होंने राजनीति को छोड़ने का फैसला किया था। इस बीच , एक्स पर एक पोस्ट में, आचार्य ने लिखा कि नीतीश कुमार “लालू को सरकारी घर से हटा सकते हैं, लेकिन उन्हें बिहार के लोगों के दिलों से नहीं हटा सकते हैं,” उन्होंने राज्य से कम से कम उनके पिता के राजनीतिक कद को पहचानने का आग्रह किया। बिहार भवन निर्माण विभाग ने मंगलवार को संशोधित आवंटन आदेश जारी किया, जिसमें राबड़ी देवी वर्तमान में विधान परिषद में विपक्ष की नेता को सर्कुलर रोड स्थित उनके लंबे समय से चले आ रहे आवास से हार्डिंग रोड स्थानांतरित कर दिया गया।
राजद प्रवक्ता ने सरकार की आलोचना की
राजद प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने भी इस कदम की आलोचना की और इसे "आश्चर्यजनक" बताया और आरोप लगाया कि राज्य सरकार पर भाजपा का प्रभाव बढ़ गया है। यादव ने राबड़ी देवी के आवास में बदलाव से संबंधित "नियमों" पर सवाल उठाया और कहा कि वह पूर्व मुख्यमंत्री और विधान परिषद में विपक्ष की वर्तमान नेता हैं। 1997 से 2005 तक बिहार की पहली महिला मुख्यमंत्री रहीं राबड़ी देवी ने चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी होने पर उनके पद छोड़ने के बाद पदभार संभाला था। वह 2018 से विधान परिषद में विपक्ष की नेता का पद संभाल रही हैं।



