जम्मू-कश्मीर के बदल रहे हालात, राजनीतिक गतिविधियाँ फिर से शुरू
आर्टिकल 370 और 35A हटाए जाने से जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक माहौल एक बार फिर गरमा गया था। न केवल जम्मू-कश्मीर, बल्कि संसद में भी विपक्षी दलों ने हंगामा शुरू कर दिया था। वे जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर सरकार से जवाब की मांग कर रहे थे।
साल 2019 में आर्टिकल 370 और 35A हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर को मिला 'स्पेशल स्टेटस' खत्म कर दिया गया था। इसके मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में भारत का कोई भी नागरिक जमीन खरीद सकता है और उसके लिए उसे अब किसी भी तरह की नागरिकता स्टेट सब्जेक्ट दिखाने की जरूरत नहीं होगी। आपको बता दें कि आर्टिकल 370 जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार देता है। इस आर्टिकल के मुताबिक, भारतीय संसद जम्मू-कश्मीर के मामले में सिर्फ तीन क्षेत्रों-रक्षा, विदेश मामले और संचार के लिए कानून बना सकती है। इसके अलावा किसी कानून को लागू करवाने के लिए केंद्र सरकार को राज्य सरकार की मंजूरी चाहिए।1956 में जम्मू-कश्मीर का अलग संविधान बना था।
आर्टिकल 370 और 35A हटाए जाने से जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक माहौल एक बार फिर गरमा गया था। न केवल जम्मू-कश्मीर, बल्कि संसद में भी विपक्षी दलों ने हंगामा शुरू कर दिया था। वे जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर सरकार से जवाब की मांग कर रहे थे। इस ऐलान के बाद नेशनल कांफ्रेस के फारूक अब्दुल्ला और पीडीपी की महबूबा मुफ्ती समेत घाटी के राजनीतिक नेताओं को नजरबंद कर दिया गया था। घाटी में इंटरनेट सहित अन्य संचार सेवाएं रोक दी गईं और पूरे राज्य में धारा 144 लागू कर दी गई थी।
इसी दौरान कोरोना महामारी भारत में अपने पैर पसार रही थी। देश के अन्य राज्यों की तरह ही जम्मू-कश्मीर में भी संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन लगा दिया गया था। सरकार ने जिस ढंग से जम्मू-कश्मीर में कोरोना महामारी के प्रसार को रोकने के लिए कदम उठाए, वह काबिल-ए-तारीफ है। लॉकडाउन के दौरान घाटी में सेनाकर्मियों ने भी स्थानीय लोगों की पूरी तरह से मदद की। देश के अन्य राज्यों के साथ अब जम्मू-कश्मीर में भी कोरोना टीकाकरण शुरू कर दिया गया है।
जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे बहाल कराने के मकसद से राज्य के कुछ राजनीतिक दलों ने आपस में मिलकर एक समूह का निर्माण किया गया था, जिसे ‘पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लयरेशन' (पीएजीडी) या गुपकार कहा जाता है। श्रीनगर में एक गुपकार रोड भी है, जहाँ नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला का आवास भी है। गुपकार घोषणा पर जम्मू कश्मीर के छह बड़े नेताओं के हस्ताक्षर थे। नेशनल कांफ्रेस के फारूक अब्दुल्ला, पीडीपी की महबूबा मुफ्ती, कांग्रेस के जीए मीर, सीपीएम के एमवाई तारीगामी, पीपुल्स कांफ्रेंस के सज्जाद गनी लोन,आवामी नेशनल कांफ्रेस के मुजफ्फर शाह।
जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद कुछ समय पहले ही यहाँ पहली बार जिला विकास परिषद (डीडीसी) का चुनाव हुए थे। जम्मू-कश्मीर की 280 सीटों के जिला विकास परिषद सदस्य के चुनाव में स्थानीय पार्टियों के गुपकार गठबंधन को 112 सीटें मिली जबकि बीजेपी को 74 सीटें मिली। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी को 12 सीटों पर जीत मिली है। कांग्रेस 26 सीटें जीतकर तीसरे नंबर पर आई जबकि निर्दलीय 49 सीटें जीतने में कामयाब रहे हैं।