पंजाब का राजनीतिक संकट गहराया, कांग्रेस में चल रही अंदरूनी कलह का क्या होगा नतीजा?
पिछले कुछ समय से अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू एक आंतरिक झगड़े में शामिल रहे हैं। जिसके दौरान सिद्धू ने बेअदबी मामले के लिए नियुक्त विशेष जांच दल (SIT) को लेकर मुख्यमंत्री पर सार्वजनिक रूप से हमला किया। सिद्धू ने कैप्टन अमरिंदर सिंह पर अक्षमता और राज्य में ड्रग माफियाओं पर शिकंजा कसने में अकर्मण्यता का आरोप लगाया।
पंजाब कांग्रेस में चल रही अंदरूनी कलह को दबाने के लिए कांग्रेस आलाकमान ने एक तीन सदस्यीय कमेटी बनाई है। इस कमेटी का नेतृत्व विपक्ष के राज्यसभा नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ दिल्ली के सांसद जेपी अग्रवाल और एआईसीसी के पंजाब प्रभारी महासचिव हरीश रावत कर रहे हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को पंजाब के कई नेताओं के साथ हो रहे सभी घटनाक्रमों से अवगत रखा गया है। कांग्रेस पार्टी के विधायक और नेता इस कमेटी के समक्ष पेश हो रहे हैं और अपनी बात रख रहे हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह ने भी इस समिति के समक्ष पेश होकर अपनी-अपनी बात रखी।
सूत्रों के मुताबिक कैप्टन अमरिंदर सिंह, नवजोत सिंह सिद्धू पर भारी पड़ गए हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस कमेटी के समक्ष पेश होने से पहले ही पंजाब में अपनी राजनीतिक ताकत का अंदाजा आलाकमान को लगा दिया था। अब आलाकमान के सामने कोई चारा नहीं है कि ना सिर्फ कैप्टन अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री बने रहेंगे बल्कि उनके नेतृत्व में ही अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को कांग्रेसी लड़ेगी। कांग्रेस ने पंजाब में उभरे असंतोष को थामने के लिए कुछ फॉर्मूले निकाले हैं।
वहीं, बीजेपी ने कांग्रेस में चल रहे असंतोष पर चुटकी ली और कुछ आरोप भी लगाए हैं। पंजाब की सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार में चल रही कलह को ‘‘विचित्र राजनीति’’ करार देते हुए भाजपा ने आरोप लगाया कि ऐसे समय में जब पूरा राज्य कोरोना से प्रभावित है, अपनी अंदरूनी राजनीति के लिए वह पंजाब के लोगों की अनदेखी का ‘‘पाप’’ कर रही है। केंद्रीय मंत्री व वरिष्ठ भाजपा नेता प्रकाश जावड़ेकर ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘पंजाब में क्या विचित्र राजनीति चल रही है? पूरा पंजाब कोरोना से प्रभावित है। वहां टीकों का उचित प्रबंधन नहीं हो रहा है। जांच और अन्य पहलुओं पर भी सरकार का जैसा ध्यान होना चाहिए वह नहीं हो रहा है।’’
पंजाब कांग्रेस में चल रही अंदरूनी कलह पर प्रतिक्रिया देते हुए जावड़ेकर ने कहा, “आज, पूरी (कांग्रेस) पार्टी और पंजाब की सरकार दिल्ली में है। पंजाब की देखभाल कौन करेगा? अपनी आंतरिक लड़ाई के लिए पंजाब की उपेक्षा करना। यह कांग्रेस का बहुत बड़ा पाप है।" जावड़ेकर ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा, 'मैं राहुल को सुझाव दूंगा कि दूसरों को लेक्चर देने के बजाय उन्हें पहले सोचना चाहिए कि उनके राज्य में काम कैसे ठीक से हो सकता है।"
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गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू एक आंतरिक झगड़े में शामिल रहे हैं। जिसके दौरान सिद्धू ने बेअदबी मामले के लिए नियुक्त विशेष जांच दल (SIT) को लेकर मुख्यमंत्री पर सार्वजनिक रूप से हमला किया। सिद्धू ने कैप्टन अमरिंदर सिंह पर अक्षमता और राज्य में ड्रग माफियाओं पर शिकंजा कसने में अकर्मण्यता का आरोप लगाया।
सिद्धू ने कई मुद्दों पर कैप्टन अमरिंदर सिंह पर उंगलियां उठाई हैं, जिनमें अधूरे वादे, अकालियों के साथ उनकी मदद और कोटकपूरा और बहबल कलां फायरिंग मामलों में असफल जांच का मुद्दा शामिल है। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी के पास अपने कर्ज में डूबे राज्य से बाहर निकलने के तरीके हैं, अगर वह लाभ के लिए पैसा जमा करने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाएं। राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले ही मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के विरोधियों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोलने की योजना बनाई है। सूत्रों के मुताबिक नवजोत सिंह सिद्धू ने अपनी रणनीति तैयार करने के लिए कुछ मंत्रियों और कुछ विधायकों के साथ बैठक की। उन्होंने कैबिनेट मंत्री के रूप में सरकार को सुझाव दिया था कि राज्य रेत से सैकड़ों करोड़ कमा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि शराब से भी सैकड़ों करोड़ कमाए जा सकते हैं। हालाँकि, उनके सुझावों को रद्द कर दिया गया था।
नवजोत सिंह सिद्धू और अमरिंदर सिंह के बीच तीखी बयानबाजी देखने को मिली है। विधायक परगट सिंह और कांग्रेस कमेटी के कुछ अन्य नेताओं ने भी मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। नवजोत सिंह सिद्धू ने इस कमेटी से मुलाकात कर अपने विचार रखे थे। फिलहाल तो पंजाब की राजनीति में कैप्टन अमरिंदर सिंह का ही पलड़ा भारी है। समिति से मुलाकात से पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपनी ताकत दिखाते हुए पंजाब विधायक सुखपाल सिंह खैरा और आम आदमी पार्टी के विधायक जगदेव सिंह कमलू और पिरामल सिंह को कांग्रेस में शामिल करवा दिया। अधिकारियों ने बताया कि इन सभी ने विधानसभा अध्यक्ष को विधायक पद से अपने त्यागपत्र भी सौंप दिए हैं। सुखपाल सिंह खैरा कांग्रेस छोड़ने के करीब 6 साल बाद पार्टी में वापस लौटे हैं। कांग्रेस छोड़ने के बाद खैरा दिसंबर 2015 में आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे। वह 2017 में आम आदमी पार्टी के टिकट पर भोलख विधानसभा से निर्वाचित हुए थे। उन्होंने जनवरी 2019 में आम आदमी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और अपनी खुद की पंजाब एकता पार्टी बनाई थी। जगदेव सिंह कमलू मौर सीट से विधायक हैं और निर्मल सिंह धौला भदौर सीट से विधायक है। दोनों पहली बार विधानसभा के सदस्य बने हैं। इस बीच कांग्रेस सूत्रों ने बताया है कि राज्य की सरकार में कोई भी नेतृत्व परिवर्तन नहीं होगा। सरकार में दो उप मुख्यमंत्री भी बनाए जाने की चर्चा है। इनमें से एक दलित वर्ग से मुख्यमंत्री हो सकता है। कांग्रेस आलाकमान नवजोत सिंह सिद्धू को मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए मनाने का प्रयास कर रहा है लेकिन अमरिंदर सिंह को उपमुख्यमंत्री पद देने के लिए राजी नहीं है।
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दिल्ली में मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय कांग्रेस कमेटी से कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू को उपमुख्यमंत्री या राज्य पार्टी प्रमुख नहीं बनाया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक उन्होंने समिति को आश्वासन दिया है कि बेअदबी-पुलिस फायरिंग के मामलों में पंजाब चुनाव से पहले ही कार्रवाई की जाएगी। ऐसे में देखना होगा कि क्या सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जाता है?