Chandigarh Lok Sabha Seat: चंडीगढ़ में दांव पर लगी इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा, दिलचस्प हुआ मुकाबला
देशभर में लोकसभा चुनाव को लेकर युद्धस्तर पर प्रचार-प्रसार चल रहा है। अंतिम चरण के चुनाव में सभी राजनीति दलों ने प्रचार में पूरी ताकत झोंक रखी है। इसी क्रम में चंडीगढ़ लोकसभा सीट पर कई नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।
देशभर में लोकसभा चुनाव को लेकर युद्धस्तर पर प्रचार-प्रसार चल रहा है। अंतिम चरण के चुनाव में सभी राजनीति दलों ने प्रचार में पूरी ताकत झोंक रखी है। इसी क्रम में चंडीगढ़ लोकसभा सीट पर कई नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। यहां पर कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवार पहली बार चुनावी मैदान में उतरे हैं। इस सीट पर गठबंधन के उम्मीदवार मनीष तिवारी हैं। तो वहीं भाजपा ने इस सीट से पूर्व अध्यक्ष संजय टंडन पर भरोसा जताया है। वैसे तो इस सीट पर कांग्रेस और बीजेपी का ही दबदबा रहा है। साल 2014 से इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है।
कांग्रेस प्रत्याशी मनीष तिवारी
कांग्रेस पार्टी ने इस सीट से मनीष तिवारी को अपना उम्मीदवार बनाया है। बता दें कि साल 2012 से लेकर 2014 तक वह सूचना और प्रसारण मंत्री भी रहे हैं। मनीष तिवारी चंडीगढ़ के रहने वाले हैं। इससे पहले वह आनंदपुर साहब और लुधियाना से भी सांसद रह चुके हैं। कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल की टिकट काटकर मनीष तिवारी पर भरोसा जताया है। पवन कुमार बंसल इस सीट से 8 बार चुनाव लड़ चुके हैं। इस बार उनका मुकाबला भाजपा के संजय टंडन से है। वहीं गठबंधन के तहत आप पार्टी भी मनीष तिवारी का समर्थन कर रही है।
भाजपा प्रत्याशी संजय टंडन
पूर्व अध्यक्ष संजय टंडन करीब 15 सालों से भाजपा में मेहनत कर रहे हैं। ऐसे में पार्टी ने पहली बार उन पर भरोसा जताया है। जिसके चलते संजय टंडन की प्रतिष्ठा दांव पर है। बीजेपी अध्यक्ष जितेंद्र पाल मल्होत्रा के नेतृत्व में यह पहला चुनाव है। ऐसे में पार्टी की जीत और हार हाईकमान के समक्ष उनका कद तय करेगी। उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा साल 1991 से शुरू की थी। वहीं साल 1993 और 2002 में उन्होंने विधानसभा चुनाव में प्रचार किया। फिर साल 2007 में उनको चंडीगढ़ भाजपा का महासचिव बनाया गया और साल 2010 में चंडीगढ़ इकाई का अध्यक्ष बनाया गया।