West Bengal GDP: पश्चिम बंगाल की अर्थव्यवस्था के चौपट होने का क्या है कारण, जानिए क्या कहते हैं आंकड़े

पश्चिम बंगाल अमीर से गरीब बनने की कतार में आ चुका है। करीब 6 दशक पहले पश्चिम बंगाल की गिनती देश के सबसे अमीर राज्यों में होती थी। लेकिन इन बदलते सालों के साथ ही पश्चिम बंगाल की अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है।
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा पश्चिम बंगाल के हाल के वित्तीय स्थिति के मुताबिक राजस्व या सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के मामले में पश्चिम बंगाल राष्ट्रीय औसत से भी पीछे है। आरबीआई के निष्कर्षों के अनुसार, राज्य अपने स्वयं के राजस्व और गैर राजस्व दोनों मामलों में राष्ट्रीय औसत से पीछे चल रहा है। इस रिपोर्ट के हिसाब से राज्य की जीएसडीपी में पश्चिम बंगाल के स्वयं के कर राजस्व का सिर्फ 5 प्रतिशत है। जोकि राष्ट्रीस औसत सात फीसदी कम है।
वहीं गैर राजस्व कर मामले में राज्य की स्थिति अधिक दयनीय है। पश्चिम बंगाल में जीएसडीपी में राज्य के गैर-कर राजस्व का सिर्फ 0.4 फीसदी है और राष्ट्रीय औसत 1.2 फीदसी है। वहीं बुनियादी ढांचे के विकास पर बंगाल सरकार का वर्तमान व्यय सिर्फ 2% है। बता दें कि किसी भी राज्य का अपना कर राजस्व घटक विनिर्माण और सेवा दोनों की क्षेत्रों में बड़े निवेश पर निर्भर करता है। वहीं पश्चिम बंगाल अन्य प्रमुख राज्यों से पीछे है। हांलाकि इस समय पश्चिम बंगाल अपनी अर्थव्यवस्था को चौपट होते देख रहा है।
यह राज्य अमीर से गरीब बनने की कतार में आ चुका है। करीब 6 दशक पहले पश्चिम बंगाल की गिनती देश के सबसे अमीर राज्यों में होती थी। लेकिन अब वर्तमान आंकड़ों को देखकर कहा जा सकता है कि यह राज्य छत्तीसगढ़ जैसे गरीब राज्य से भी अधिक गरीब हो चुका है। इन सालों में पश्चिम बंगाल की अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है। वर्तमान समय में भी बंगाल की अर्थव्यवस्था में कृषि और किसानों का अहम रोल है। बंगाल के सकल राज्य घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र का योगदान 12% है। लेकिन राज्य में कृषि क्षेत्र में भी कुछ खास प्रगति देखने को नहीं मिल रही है।
इसके अलावा तमिलनाडु, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों में ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स की नई और अत्याधुनिक फैक्ट्रियां लगी हैं। जिसके चलते इन राज्यों की अर्थव्यवस्था में चार चांद लग गए। जबकि बंगाल में जो फैक्ट्रियां हैं, वह इन बाकी राज्यों की तुलना में बेहतर रोजगार का सृजन करने में कामयाब नहीं हो सकीं। राज्य का खुद का राजस्व कर जीएसडीपी की तुलना में सबसे कम है। जिस कारण पश्चिम बंगाल के बजट का बड़ा हिस्सा केंद्र से मिलने वाली सहायता पर निर्भर है।