नाराज सिद्धू ने इस्तीफा देकर फेंकी गुगली, क्या रक्षात्मक शॉट खेल पाएगी कांग्रेस?

Priya Mishra     Sep 29, 2021
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नाराज सिद्धू ने इस्तीफा देकर फेंकी गुगली, क्या रक्षात्मक शॉट खेल पाएगी कांग्रेस?

कैप्टन अमरिंदर सिंह को जब मुख्यमंत्री पद से हटाकर चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया गया तो उन्होंने सिद्धू के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि सिद्धू के लिए पंजाब का मुख्यमंत्री बन पाना अब आसान नहीं होगा।

पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। आपको बता दें कि नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर प्रदेश कांग्रेस प्रमुख पद से इस्तीफा दे दिया है। लेकिन पंजाब कांग्रेस मंत्रिमंडल में फेरबदल के दो दिन बाद सिद्धू ने यह कदम क्यों उठाया? आइए जानते हैं -

 राणा गुरजीत को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने के खिलाफ थे

 नए मंत्रिमंडल की शपथ लेने से कुछ ही घंटे पहले, दोआबा क्षेत्र के छह मंत्रियों ने राणा गुरजीत सिंह की पदोन्नति के खिलाफ सिद्धू को एक पत्र लिखा। इसमें कहा गया था कि उन्होंने रेत में खनन मामले में भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण 2018 में मंत्रालय से इस्तीफा दे दिया था। सूत्रों से पता चला है कि सिद्धू भी कपूरथला से विधायक राणा गुरजीत को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने के खिलाफ थे। लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने अपने कदम पर आगे बढ़ते हुए सिद्धू के करीबी माने जाने वाले पीपीसीसी के कार्यकारी अध्यक्ष कुलजीत सिंह नागरा को हटाने का फैसला किया। इतना ही नहीं, मंत्रालय ने सिद्धू के मुखर आलोचक डॉ राज कुमार वेरका को भी वाल्मीकि चेहरे के रूप में  शामिल किया।

सुखजिंदर सिंह रंधावा को गृह मंत्रालय देने के फैसले से सहमत नहीं थे

ऐसा माना जा रहा है कि सिद्धू उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा को सभी महत्वपूर्ण गृह मंत्रालय देने के फैसले से सहमत नहीं थे। सिद्धू कथित तौर पर सीएम के विभाग को बनाए रखने के पक्ष में थे, लेकिन यह रंधावा को दे दिया गया था। इससे पहले, सिद्धू ने रंधावा को मुख्यमंत्री बनाने के कदम को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि अगर पार्टी जाट सिख चेहरा चुन रही है, तो वह उन्हें होना चाहिए।

शीर्ष पद चाहते थे सिद्धू 

यह बात सबके सामने है कि सिद्धू शीर्ष पद चाहते हैं। हालांकि पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने सिद्धू के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कही थी जिसकी वजह से विवाद खड़ा हो गया था और फिर उन्हें बाद में कहना पड़ा था कि सुनील जाखड़ और सिद्धू के नेतृत्व में चुनाव लड़ेंगे। वैसे आपको बता दें कि कैप्टन अमरिंदर सिंह को जब मुख्यमंत्री पद से हटाकर चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया गया तो उन्होंने सिद्धू के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि सिद्धू के लिए पंजाब का मुख्यमंत्री बन पाना अब आसान नहीं होगा। वहीं पंजाब में अब कांग्रेस के तीन धड़े दिखाई दे रहे हैं। पहला कैप्टन का, दूसरा सिद्धू का और तीसरी धड़ा चन्नी का भी तैयार हो गया है। 

नए एडवोकेट जनरल की नियुक्ति से नाखुश थे 

सोमवार शाम कांग्रेस सरकार ने सीनियर एडवोकेट एपीएस देओल को अपना एडवोकेट जनरल नियुक्त किया। इसके चलते सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई, क्योंकि देओल हाल तक प्रदर्शनकारियों पर बेअदबी और पुलिस फायरिंग की घटनाओं के दौरान पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी, पुलिस प्रमुख के वकील थे।

सिद्धू के पसंद के अधिकारियों को नियुक्त नहीं किया गया  

19 जुलाई को पीपीसीसी प्रमुख नियुक्त किए गए सिद्धू को पंजाब पुलिस प्रमुख सहित प्रमुख पदों पर अपनी पसंद का कोई भी अधिकारी नहीं मिला। इसके साथ ही उनके सलाहकार, पूर्व आईपीएस अधिकारी मोहम्मद मुस्तफा इस पद पर एस चट्टोपाध्याय को नियुक्त करने के इच्छुक थे। लेकिन सीएम चन्नी ने अपने पसंद के एक अधिकारी आईएस सहोता को इस पद पर नियुक्त किया।