कृषि आंदोलन के बीच भाजपा ने शुरू की तिरंगा यात्रा, जानिए किसानों ने क्यों बनाई दूरी?

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क     Aug 06, 2021
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कृषि आंदोलन के बीच भाजपा ने शुरू की तिरंगा यात्रा, जानिए किसानों ने क्यों बनाई दूरी?

किसानों की माँग है कि सरकार न्यूनतम सर्मथन मूल्य (MSP) बिल को वापस ले। किसानों के साथ चल रहे टकराव के बीच भाजपा ने हरियाणा में दो हफ्ते की तिरंगा यात्रा करने का फैसला किया है। भाजपा की योजना सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में निर्वाचन क्षेत्र के अनुसार यात्रा शुरू करने की है।

आठ महीने से तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। किसानों की माँग है कि सरकार न्यूनतम सर्मथन मूल्य (MSP) बिल को वापस ले। किसानों के साथ चल रहे टकराव के बीच भाजपा ने हरियाणा में दो हफ्ते की तिरंगा यात्रा करने का फैसला किया है। भाजपा की योजना सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में निर्वाचन क्षेत्र के अनुसार यात्रा शुरू करने की है। इस यात्रा की शुरुआत रविवार को भिवानी जिले के लोहारू निर्वाचन क्षेत्र से हुई, जिसका प्रतिनिधित्व राज्य के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जे पी दलाल ने किया। भाजपा समर्थकों ने ट्रैक्टरों पर बहल से लोहारू के बीच लगभग 40 किलोमीटर लंबी तिरंगा यात्रा निकाली। गौर करने वाली बात यह है कि संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने भी इस यात्रा का विरोध न करने ऐलान किया है।

क्या है तिरंगा यात्रा का उद्देश्य?

हरियाणा भाजपा अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ ने कहा कि तिरंगा यात्रा का उद्देश्य युवाओं में देशभक्ति की भावना पैदा करना है। धनखड़ ने कहा, "हम हाथों में तिरंगा लिए और शहीदों के प्रति आभार व्यक्त किए बिना युवाओं को देशभक्ति नहीं सिखा सकते।" भाजपा नेताओं का यह भी दावा है कि वे हर साल इस तरह के आयोजन करते हैं। हालांकि, इसे एक राजनीतिक कोण से भी देखा जा सकता है। दरअसल, पिछले आठ महीनों के दौरान तीव्र किसान आंदोलन ने सत्तारूढ़ भाजपा को एक कोने में धकेल दिया है। जब भी नेता आंदोलनकारियों के वर्चस्व वाले क्षेत्र में जाते हैं, तब  गुस्साए किसान हरियाणा में अपने नेताओं के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है। इतना ही नहीं, किसान भाजपा के संगठनात्मक कार्यक्रमों को भी निशाना बनाते हुए, उनके सभा स्थलों के बाहर भी विरोध प्रदर्शन करते रहे हैं। इन परिस्थितियों में, राज्य और केंद्र में सत्ता में होने के बावजूद पार्टी के लिए सामान्य गतिविधियों को जारी रखना लगभग मुश्किल हो गया है। इसलिए भाजपा के लिए जरूरी था कि वह किसी न किसी बहाने जनता के बीच जाए। इन यात्राओं के साथ, भाजपा का उद्देश्य अपने कार्यकर्ताओं को सक्रिय करना भी है।

किसान क्यों नहीं कर रहे हैं तिरंगा यात्रा का विरोध?

वहीं, किसान नेताओं ने भाजपा की तिरंगा यात्रा को किसान आंदोलन को बदनाम करने की चाल बताया। SKM के नेता, योगेंद्र यादव ने कहा कि यह भाजपा की चाल है और पार्टी का उद्देश्य किसानों के साथ टकराव पैदा करना है। यादव ने आगे कहा कि उनकी रणनीति को ध्यान में रखते हुए SKM ने फैसला किया है कि वे इस तिरंगा यात्रा का विरोध नहीं करेंगे।

वहीं, किसानों से अपील करते हुए, BKU नेता राकेश टिकैत ने कहा, “तिरंगा देश का सम्मान है। यदि आप (किसान) उनकी यात्रा रोकते हैं, तो वे (भाजपा के लोग) कहेंगे कि आपने तिरंगे का अपमान किया है। इससे दूर रहो।"

इन्हीं बयानों के बीच किसान नेताओं ने तिरंगा यात्रा का विरोध नहीं करने का फैसला किया। किसानों में यह भावना है कि उन्हें ऐसी किसी भी गतिविधि से बचना चाहिए जो तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे उनके आंदोलन के लिए घातक साबित हो सकता है। हालाँकि, किसानों को लगता है कि कृषि कानूनों को लेकर जमी हुई बर्फ एक दिन जरूर पिघलेगी और सरकार उनकी मांगों को मान लेगी।