आखिर भाजपा नारायण राणे को क्यों कर रही है आगे? इसके पीछे छिपा है दशकों पुराना सच

Priya Mishra     Aug 25, 2021
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आखिर भाजपा नारायण राणे को क्यों कर रही है आगे? इसके पीछे छिपा है दशकों पुराना सच

2003 में जब शिवसेना ने महाबलेश्वर में एक सम्मेलन में उद्धव ठाकरे को पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नामित किया तो राणे ने इसका विरोध किया। साल 2005 में राणे द्वारा पार्टी में पदों और टिकटों को बेचने का आरोप लगाने के बाद, तत्कालीन शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे ने राणे को पार्टी से निष्कासित कर दिया।

केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ विवादित बयान के बाद शिवसेना ने सड़क पर विरोध प्रदर्शन किया और राणे के खिलाफ तीन प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। आपको बता दें कि राणे ने बयान में कहा था, “यह शर्मनाक है कि मुख्यमंत्री को स्वतंत्रता का वर्ष नहीं पता है। अगर मैं वहां होता तो  एक जोरदार तमाचा मार देता।" राणे के खिलाफ सोमवार को रायगढ़, पुणे और नासिक जिलों में तीन प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। इस बीच, राणे को मंगलवार देर शाम महाड की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने जमानत दे दी है। नारायण राणे ने शिवसेना में 'शाखा प्रमुख' के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया। इसके बाद 1999 में पहली शिवसेना-भाजपा सरकार में वे आठ महीने के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने थे। 2003 में जब शिवसेना ने महाबलेश्वर में एक सम्मेलन में उद्धव ठाकरे को पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नामित किया तो राणे ने इसका विरोध किया। साल 2005 में राणे द्वारा पार्टी में पदों और टिकटों को बेचने का आरोप लगाने के बाद, तत्कालीन शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे ने राणे को पार्टी से निष्कासित कर दिया। 

इसके तुरंत बाद, राणे अन्य विधायकों को अपने साथ लेकर कांग्रेस में शामिल हो गए। हालांकि, शिवसेना को विभाजित करने के उनके प्रयास को शिवसेना ने विफल कर दिया। 2017 में राणे ने यह कहते हुए कांग्रेस छोड़ दी कि पार्टी ने दावा किया कि उन्हें सीएम पद दिया जाएगा लेकिन पार्टी में कोई गुंजाइश नहीं है। इसके बाद उन्होंने अपना खुद का संगठन, महाराष्ट्र स्वाभिमान पक्ष बनाया। बाद में उन्होंने भाजपा को समर्थन की घोषणा की और राज्यसभा के लिए चुने गए और 2019 में अपनी पार्टी का भाजपा में विलय कर दिया।

राणे ने कई मौकों पर शिवसेना, खासतौर पर ठाकरे परिवार पर तीखे हमले किए हैं। हालाँकि, राणे ने शिवसेना के संरक्षक बालासाहेब ठाकरे की आलोचना नहीं की, लेकिन वे उद्धव ठाकरे पर कटाक्ष करने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। उन्होंने उद्धव ठाकरे की पत्नी रश्मि और बेटे आदित्य पर भी कटाक्ष किया है।

नारायण राणे से भाजपा पर क्या होगा असर  

शिवसेना और ठाकरे परिवार पर नारायण राणे के हमलों के भाजपा के लिए फायदे और नुकसान दोनों हैं। माना जा रहा है कि इससे भाजपा को अगले साल होने वाले बीएमसी चुनावों में शिवसेना का मुकाबला करने में मदद मिलेगी। हालांकि, शिवसेना नेताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री के खिलाफ राणे की अभद्र भाषा भाजपा के लिए अच्छी नहीं होगी। विवादास्पद बयान देने के अलावा राणे का बीएमसी चुनावों में जमीनी स्तर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।