Burdwan-Durgapur Lok Sabha Seat: बर्दवान-दुर्गापुर लोकसभा क्षेत्र का बदलेगा रिवाज या बरकरार रहेगा ट्रेंड

अनन्या मिश्रा     May 08, 2024
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Burdwan-Durgapur Lok Sabha Seat: बर्दवान-दुर्गापुर लोकसभा क्षेत्र का बदलेगा रिवाज या बरकरार रहेगा ट्रेंड

बर्दवान-दुर्गापुर लोकसभा क्षेत्र में माकपा के अलावा के किसी भी राजनीतिक दल ने दूसरी बार जीत का स्वाद नहीं चखा है। भाजपा, भाकपा और तृणमूल कांग्रेस के हिस्से में एक-एक बार सीट आई है।

पश्चिम बंगाल में साल 2009 में बर्दवान-दुर्गापुर लोकसभा क्षेत्र का गठन हुआ था। उसी साल यहां पर पहली बार आम चुनाव हुआ था। इसके बाद साल 2014 और 2019 में संसदीय चुनाव हुए थे। बर्दवान-दुर्गापुर लोकसभा क्षेत्र में अब तक तीन बार लोकसभा चुनाव हुआ था। यहां पर माकपा के अलावा के किसी भी राजनीतिक दल ने दूसरी बार जीत का स्वाद नहीं चखा है। भाजपा, भाकपा और तृणमूल कांग्रेस के हिस्से में एक-एक बार सीट आई है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या इस बार बर्दमान-दुर्गापुर लोकसभा सीट पर मोदी मैजिक चलेगा या ममता बनर्जी बाजी मारेंगी। इस सीट पर 13 मई को मतदान होने हैं।


तृणमूल कांग्रेस कीर्ति आजाद

वहीं टीएमसी ने पूर्व क्रिकेटर व पूर्व सांसद कीर्ति आजाद को प्रत्याशी बनाया है। आजाद दरभंगा से कीर्ति झा भाजपा के तीन बार सांसद रह चुके हैं। वहीं पिछला चुनाव उन्होंने कांग्रेस की टिकट पर झारखंड के धनबाद से लड़ा था। वर्तमान समय में वह टीएमसी के टिकट पर पश्चिम बंगाल के चुनावी मैदान में हैं। वह अब टीएमसी में शामिल हो गए हैं। कीर्ति आजाद बिहार के पूर्व सीएम भागवत झा आजाद के बेटे हैं।


भाजपा प्रत्याशी दिलीप घोष

भारतीय जनता पार्टी ने इस बार बर्दवान-दुर्गापुर लोकसभा क्षेत्र से दिलीप घोष पर दांव लगाया है। बता दें कि दिलीप घोष मेदिनीपुर के सांसद व भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष रहे हैं। आपको बता दें कि पार्टी में दिलीप घोष की छवि एक फायर ब्रांड नेता के तौर पर रही है। वह बेहद आक्रामक तरीके से अपने क्षेत्र में चुनाव प्रचार करने के लिए जाने जाते हैं। दिलीप घोष हिंदुत्व को मुद्दा बनाकर प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। दिलीप घोष अब अपने राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं।


सीपीएम प्रत्याशी सुकृति घोषाल

इसके साथ ही वामदल सीपीएम ने सुकृति घोषाल को चुनावी मैदान में उतारकर चुनावी मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। हालाँकि इस सीट पर तीनों दल एक-एक बार जीत हासिल कर चुके हैं। ऐसे में कोई भी दल इस चुनाव में अपनी जीत को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त नहीं दिख रहा है।