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Delhi Ordinance Bill: जगन मोहन रेड्डी की पार्टी YSR कांग्रेस ने दिल्ली अध्यादेश पर रखा अपना पक्ष, NDA का पलड़ा भारी

By LSChunav | Aug 02, 2023

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी की पार्टी ने केंद्र सरकार के समर्थन का ऐलान किया है। दरअसल, दिल्ली के अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़े अध्यादेश की आने वाले विधेयक पर सीएम रेड्डी ने बीते मंगलवार को अपना रुख साफ किया है। उनकी वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की तरफ से केंद्र सरकार के समर्थन का ऐलान किया गया है। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सांसद विजयसाई रेड्डी ने मामले पर जानकारी देते हुए बताया कि पार्टी और YSR नेता जगन मोहन रेड्डी ने विधेयक का समर्थन करने का फैसला किया है। ऐसे में उनकी पार्टी सुनिश्चित करेगी कि संसद में यह बिल पास हो।

क्यों होगा केंद्र सरकार को फायदा
बता दें कि YSR पार्टी द्वारा केंद्र सरकार को समर्थन मिलने से अब बीजेपी के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन संख्याबल के मामले में भारी पड़ता दिख रहा है। लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी बीजेपी को भारी संख्या में समर्थन मिल रहा है। YSR कांग्रेस पार्टी ने 9 सांसद राज्यसभा में हैं। वहीं ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीटनायक के बीजू जनता दल यानी BJD ने भी केंद्र सरकार के विधेयक के समर्थन में वोट करने के लिए कह रही है। YSR कांग्रेस पार्टी और BJD का रुख साफ होने के बाद NDA को फायदा होता दिख रहा है।

NDA के राज्यसभा में 101 सांसद हैं। वहीं विपक्ष द्वारा गठित इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस INDIA के पास 100 सांसद हैं। वहीं जो NDA और INDIA में से किसी भी गठबंधन में शामिल नहीं हैं, उन दलों के 28 सदस्य हैं। जिसमें 5 नामित और 3 निर्दलीय सदस्य हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश की पूर्व सीएम और बसपा प्रमुख मायावती, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा की जेडीएस और पूर्व केंद्रीय मंत्री चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी ने इस मामले में अपना रुख साफ नहीं किया है। 

तीनों ही पार्टियों के एक-एक सांसद राज्यसभा में हैं। ऐसे में यह तीन पार्टी किस पक्ष की तरफ अपना वोट देती हैं। इस पर फिलहाल सबकी नजर बनी हुई है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय द्वारा लोकसभा में विधेयक रखे जाने के बाद आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। राघव चड्ढा ने इस विधेयक को अलोकतांत्रिक बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार इसके माध्यम से उपराज्यपाल को शक्ति दे रही है।
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