उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट हॉट सीट है। यहां पर भाजपा से स्मृति ईरानी और सपा-कांग्रेस गठबंधन से किशोरी लाल शर्मा के बीच मुख्य मुकाबला है। इस सीट पर परिणाम 04 जून को आने हैं। हालांकि चुनावी प्रक्रिया खत्म होने के बाद हलचल तेज देखने को मिल रही है। इस सीट पर पांचवे चरण के तहत 20 मई को मतदान हुआ था।
अमेठी सीट से 13 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे, लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच होता है। पिछले पांच दशकों में अमेठी लोकसभा सीट पर कोई भी गैर कांग्रेसी उम्मीदवार ने लगातार दूसरी बार जीत नहीं हासिल की है। ऐसे में अगर इस बार भी स्मृति ईरानी चुनाव जीतती हैं, तो वह यह अनोखा रिकॉर्ड बना देंगी।
अमेठी कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। यहां पर मुख्य मुकाबला बीजेपी की निवर्तमान सांसद और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और कांग्रेस के केएल शर्मा के बीच है। केएल शर्मा ने इस क्षेत्र में सोनिया गांधी के सांसद प्रतिनिधि के तौर पर अपनी पकड़ बनाने की कोशिश की है। बता दें कि ऐसा सिर्फ तीन चुनावों में हुआ है, जब अमेठी सीट से दूसरे दलों को सफलता मिल पाई है।
साल 1967 से ही इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा देखने को मिला है। इमरजेंसी के बाद साल 1977 में इस सीट से जनता पार्टी के रवींद्र प्रताप ने जीत हासिल की थी। फिर साल 1998 के चुनाव में बीजेपी के संजय सिंह और साल 2019 में स्मृति ईरानी ने जीत हासिल की।
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी ने 55,120 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। इस दौरान स्मृति ईरानी ने कांग्रेस के राहुल गांधी को करारी शिकस्त दी थी। इससे पहले साल 2014 में राहुल गांधी ने यहां से जीत हासिल की थी और स्मृति ईरानी को हार का सामना करना पड़ा था। पिछले दो चुनावों पर नजर डालें तो परिणाम साफ दिखते हैं कि यहां पर मुकाबला दो तरफा ही होता है।
अमेठी सीट से तीसरी पार्टी के मैदान उतरने का कोई खास असर नहीं दिखाई पड़ता है। ऐसे में केएल शर्मा बीजेपी की स्मृति ईरानी की जीत में रोड़ा डाल रहे हैं। लेकिन यदि स्मृति ईरानी यहां से जीत हासिल करती हैं, तो इतिहास बनना तो तय है।