Lok Sabha Elections: AAP और कांग्रेस मिलकर दिल्ली में बढ़ा सकती हैं BJP की टेंशन, समझिए लोकसभा का चुनावी समीकरण

LSChunav     Mar 19, 2024
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Lok Sabha Elections: AAP और कांग्रेस मिलकर दिल्ली में बढ़ा सकती हैं BJP की टेंशन, समझिए लोकसभा का चुनावी समीकरण

दिल्ली में आप पार्टी और कांग्रेस के बीच समझौता हो गया है। बता दें कि दिल्ली में 4-3 के फॉर्मूले पर बात बनी है। दिल्ली में 7 लोकसभा सीटें हैं। जिनमें से 4 सीटों पर आम आदमी पार्टी और 3 सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ेगी।

आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच लोकसभा चुनाव से पहले दिल्ली और अन्य राज्यों में समझौता हो गया है। वहीं दिल्ली में आप पार्टी और कांग्रेस के बीच समझौता हो गया है। बता दें कि दिल्ली में 4-3 के फॉर्मूले पर बात बनी है। दिल्ली में 7 लोकसभा सीटें हैं। जिनमें से 4 सीटों पर आम आदमी पार्टी और 3 सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ेगी। दिल्ली की सात लोकसभा सीटों में से चार दक्षिणी दिल्ली, नई दिल्ली, पश्चिमी दिल्ली और पूर्वी दिल्ली पर आप पार्टी चुनाव लड़ेगी। 


वहीं कांग्रेस पार्टी उत्तर-पूर्वी दिल्ली, चांदनी चौक और उत्तर पश्चिमी दिल्ली सीट से चुनाव मैदान में अपने उम्मीदवार उतारेगी। हांलाकि अभी सभी सीटों पर भाजपा का कब्जा है। लेकिन आप और कांग्रेस के साथ में आने के बाद भाजपा की चुनौती बढ़ना तय है। ऐसे में यह भी जानना बेहद दिलचस्प होगा कि आप और कांग्रेस के साथ में आने से दिल्ली की किन सीटों पर भाजपा की मुश्किलें बढ़ जाएंगी।


आपको बता दें कि दिल्ली की सभी 7 लोकसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को दिल्ली में 57% वोट मिले ते। जिसके परिणामस्वरूप सभी 7 सीटें भाजपा के खाते में चली गईं। इस चुनाव में कांग्रेस को आप पार्टी के मुकाबले अधिक वोट मिले थे। साल 2019 के आम चुनाव में जहां आप को 18 फीसदी तो कांग्रेस को 23 फीसदी वोट हासिल हुए थे। ऐसे में अगर दोनों पार्टियों का वोट शेयर जोड़ दें, तो यह आंकड़ा 41 फीसदी के पास पहुंचता है।


ऐसे में कांग्रेस और आप पार्टी को उम्मीद है कि वह दोनों एक साथ आकर वोटर्स को अपनी तरफ खींच सकते हैं। जिसका असर सीटों पर भी देखने को मिलेगा। लेकिन साल 2019 के चुनावों को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि भाजपा को मिलकर हराना मुश्किल है। लेकिन अगर आप 2014 के चुनाव नतीजों पर नजर डालेंगे तो भाजपा के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो सकती है। क्योंकि साल 2014 में भाजपा को 46.6 फीसदी वोट मिले। वहीं आम आदमी पार्टी 33.1 फीसदी वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रही। जबकि कांग्रेस को इस दौरान 15.2 फीसदी वोट मिले थे।


ऐसे में अगर आप कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के वोट प्रतिशत को मिलाते हैं, तो यह 48 फीसदी से अधिक हो जाता है। जो कि भाजपा को मिले 46 फीसदी से ज्यादा है। वहीं दिल्ली की राजनीति में इन 10 सालों में काफी बदलाव देखने को मिला है। जहां दिल्ली में आप पार्टी की स्थिति काफी ज्यादा मजबूत हुई है, तो वहीं कांग्रेस की स्थिति काफी कमजोर हुई है। क्योंकि दिल्ली विधानसभा और नगर निगम के चुनाव में कुछ ऐसा ही हाल देखने को मिला था। लेकिन कांग्रेस के लिए राहत इस बात की थी कि पिछले लोकसभा चुनाव में उसे आप पार्टी से अधिक वोट मिले थे।


विपक्षी दलों के गठबंधन 'इंडिया' के गठन के बाद सबसे बड़ा सवाल यह था कि आप और कांग्रेस एक साथ कैसे आएंगे। हांलाकि एक समय ऐसा भी आया जब आप पार्टी की तरफ से यह ऐलान किया गया कि वह गठबंधन के साथ तभी आएंगे, जब केंद्र की ओर से लाए गए बिल का कांग्रेस विरोध करे। वहीं दिल्ली कांग्रेस के नेया यह भी कह रहे थे कि केंद्र सरकार द्वारा लाया गया बिल ठीक है और कांग्रेस को साथ नहीं आना चाहिए। 


हांलाकि दिल्ली पर आए इस बिल पर कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी का साथ दिया। न सिर्फ संसद के भीतर बल्कि बाहर भी कांग्रेस पार्टी मजबूती के साथ आप पार्टी के साथ खड़ी रही। बिल पास हो गया पर दोनों दल करीब आ गए। बातचीत का दौर चलने के साथ ही गठबंधन भी हो गया। वहीं दोनों दलों के बीच जमीनी स्तर पर काफी दूरियां हैं। ऐसे में दोनों दलों के साथ आने से दिल्ली में बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।