Uttarakhand News: प्रदेश के दैनिक वेतनभोगी कर्मियों को नहीं मिलेगा महंगाई भत्ता, जानिए क्या है वजह

अनन्या मिश्रा     Dec 07, 2023
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Uttarakhand News: प्रदेश के दैनिक वेतनभोगी कर्मियों को नहीं मिलेगा महंगाई भत्ता, जानिए क्या है वजह

उत्तराखंड के विभिन्न विभागों में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को बड़ा झटका लगा है। बता दें कि इनको एक नवंबर 2023 से महंगाई भत्ता नहीं मिलेगा। इस बारे में वित्त विभाग ने आदेश जारी कर दिए हैं।

उत्तराखंड के विभिन्न विभागों में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को बड़ा झटका लगा है। बता दें कि इनको एक नवंबर 2023 से महंगाई भत्ता नहीं मिलेगा। इस बारे में वित्त विभाग ने आदेश जारी कर दिए हैं। अपर मुख्य सचिव द्वारा जारी आदेश के मुताबिक नियमित चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की तरह दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को न्यूनतम वेतनमान व महंगाई भत्ता दिया जाना वित्तीय नियमों के विपरीत है। इस बात का कोई विधिक अधिकार नहीं है। इसके साथ ही इस आदेश में वित्त विभाग द्वारा उच्चतम न्यायालय के कुछ फैसलों का भी उल्लेख किया गया है।


प्राप्त जानकारी के अनुसार, वन विभाग के उन करीब 611 दैनिक श्रमिकों की वजह से वित्त विभाग को महंगाई भत्ता न देने का यह आदेश जारी करना पड़ा है, जो कोर्ट के आदेश पर न्यूनतम वेतन के अलावा महंगाई भत्ता भी ले रहे थे। साथ ही कुछ अन्य विभागों में दैनिक वेतन भोगी न्यूनतम वेतन भी ले रहे थे। इन कर्मचारियों को मासिक आधार पर राशि का भुगतान किया गया। 


वित्त विभाग का मानना है कि कार्य दिवसों में किए गए कार्य के आधार पर दैनिक श्रमिकों को मजदूरी दी जानी चाहिए। दैनिक वेतन भोगी श्रम विभाग के आदेश को आधार बनाकर न्यूनतम वेतन के साथ डीए का लाभ ले रहे हैं। बता दें कि 16 जून 2003 के कार्मिक विभाग के आदेश के हवाले से वित्त विभाग ने कहा है कि नियमित कर्मचारी की तरह दैनिक वेतन कर्मचारी समान प्रकृति का कार्य करने वाले वेतनमान पाने के हकदार नहीं है।


वित्त विभाग के मुताबिक वर्ष 2002 से प्रदेश में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की नियुक्ति पर रोक है। जिसके बाद कई न्यायालयों में श्रम विभाग के शासनादेश को आधार पर बनाकर न्यूनतम वेतन दिए जाने की याचिकाएं दायर की गईं हैं। जबकि यह राज्य के वित्तीय प्रबंधन के अनुरूप नहीं है। वहीं आवश्यकतानुसार आउटसोर्स से चतुर्थ श्रेणी के पदों पर मानदेय पर तैनाती होती है। इसके दूरगामी नकारात्मक प्रभाव को देखते हुए प्रशासनिक, विधिक व वित्तीय प्रावधानों तथा राज्य की राजकोषीय स्थिति पर कैबिनेट ने यह नीतिगत निर्णय लिया है।