West Bengal News: बंगाल की गुत्थी सुलझाना विपक्ष के लिए मुश्किल, TMC से हाथ मिलाने को तैयार नहीं माकपा

अनन्या मिश्रा     Dec 23, 2023
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West Bengal News: बंगाल की गुत्थी सुलझाना विपक्ष के लिए मुश्किल, TMC से हाथ मिलाने को तैयार नहीं माकपा

बंगाल की अड़चन अब भी विपक्षी एकजुटता में उसी मोड़ पर खड़ी है, जहां पर 5-6 महीने पहले थी। वहीं माकपा, बंगाल कांग्रेस के स्टैंड के साथ जाने के लिए बिलकुल भी तैयार नहीं है। क्योंकि माकपा, तृणमूल और बीजेपी को एक समान दुश्मन मानती है।

बंगाल की अड़चन अब भी विपक्षी एकजुटता में उसी मोड़ पर खड़ी है, जहां पर 5-6 महीने पहले थी। बंगाल कांग्रेस के तृणमूल पर कम हुए हमले और अधीर रंजन चौधरी का सीएम ममता बनर्जी के प्रति बदले रवैये से बीजेपी के खिलाफ आईएनडीआईए के तीन बड़े घटक दलों में तालमेल होने और सीट बंटवारे की गुत्थी सुलझती हुई दिख रही है। वहीं 42 सीटों लोकसभा सीटों वाले राज्य में माकपा किसी भी कीमत पर तृणमूल कांग्रेस के साथ जाने के लिए तैयार नहीं है। 


बता दें कि पश्चिम बंगाल में प्रचंड बहुमत के साथ सत्तारूढ़ तृणमूल भी कांग्रेस को सम्मानजनक सीट देने के लिए राजी नहीं है। ऐसे में विपक्षी गठबंधन की चार संयुक्त बैठकों और में सारी समस्याओं को सुलझा लेने के दावों के अलावा अभी कई रुकावटे हैं। हांलाकि सीएम ममता के संकेतों से कांग्रेस में थोड़ा उत्साह जरूर देखने को मिल रहा है। बता दें कि बंगाल कांग्रेस के साथ राहुल गांधी ने दो दिन पहले परामर्श कर उसकी अपेक्षाएं जानने का प्रयास किया था। जिसके बाद यह सामने आया था कि तृणमूल से कांग्रेस सात सीटों की मांग कर सकती है।


वहीं माकपा, बंगाल कांग्रेस के स्टैंड के साथ जाने के लिए बिलकुल भी तैयार नहीं है। क्योंकि माकपा, तृणमूल और बीजेपी को एक समान दुश्मन मानती है। वाम दलों को सीएम ममता की राजनीकि से इतनी अधिक नाराजगी है कि माकपा के राज्य सचिव मो. सलीम के मुताबिक बीजेपी को बंगाल में हराने के लिए तृणमूल को हराना बेहद जरूरी है। क्योंकि माकपा का मानना है कि तृणमूल के कारण बीजेपी को राज्य में पैर जमाने में सहायता मिली है।


माकपा के पोलित ब्यूरो सदस्य नीलोत्पल बसु के अनुसाप, किसी भी हाल में वह तृणमूल के साथ जाने के लिए तैयार नहीं हैं। वहीं कांग्रेस के साथ गठबंधन भी उसी स्थिति में संभव है, जब तृणमूल और बीजेपी के खिलाफ लड़ाई में माकपा का साथ देगी। नीलोत्पल के बयान से यह साफ संकेत मिलता है माकपा और तृणमूल एक मोर्चे से बीजेपी को चुनौती नहीं देने जा रहे हैं।