दिल्ली में कृत्रिम बारिश पर सवाल: 3.21 करोड़ के खर्च पर विपक्ष हमलावर क्यों?

दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण से निपटने के लिए 3.21 करोड़ रुपये की लागत से हुए कृत्रिम बारिश (क्लाउड सीडिंग) के परीक्षणों पर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं। मंगलवार को हुए इन परीक्षणों के बावजूद अभी तक अपेक्षित राहत न मिलने और भारी खर्च को लेकर राजनीति गरमा गई है, जिससे दिल्ली सरकार की प्रदूषण नियंत्रण रणनीतियों पर बहस छिड़ गई है।
दिल्ली-एनसीआर में हवा की गुणवत्ता धीरे-धीरे खराब हो रही है। प्रदूषण का लेवल बढ़ रहा है। दिल्ली के कुछ हिस्सों में मंगलवार दोपहर बारिश को बढ़ावा देने के लिए 2 दो क्लाउथ सीडिंग परीक्षण किया गया है। इस बारिश से पॉल्यूशन से काफी राहत मिलेगी, लेकिन अभी तक कुछ भी हुआ नहीं। इस मामले को लेकर राजनीति गरमाई हुई है और विपक्ष भी हमलावर हो गया है। दावा किया जा रहा दिल्ली के कुछ हिस्सों में बूंदें गिरीं हैं। जानकारी के मुताबिक, दिल्ली सरकार ने सितंबर में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (कानपुर) के साथ 5 परीक्षण करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे, जिनकी सभी योजना उत्तर-पश्चिम दिल्ली में 3.21 करोड़ रुपये की लागत से बनाई गई है।
क्लाउड सीडिंग क्या है?
क्लाउड सीडिंग एक सिल्वर आयोडाइड नैनोपार्टिकल्स, आयोडीन युक्त नमक और सूखी बर्फ जैसे रसायनों को वातावरण में मिलाकर बारिश कराने की प्रक्रिया है। इसका प्रयोग पानी की कमी वाले क्षेत्रों में या ओलावृष्टि को कम करने में मदद करता है। यह हवाई जहाज, रॉकेट या जमीन पर मशीनों का प्रयोग करके किया जाता है।
दिल्ली की हवा हुई खराब
दिवाली पर पटाखों जलाने के बाद से हवा में गुणवत्ता की खराबी देखी गई थी। अब खेतों में आग लगने (परोली जलाने) की घटनाओं में 77.5 प्रतिशत की गिरावट के बाद भी दिल्ली का AQI दिवाली के बाद से 5 साल के सबसे निचले स्तर पहुंच गया है। आपको बता दें कि, औसत PM2.5 का स्तर 488 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के चौंकाने वाले स्तर पर पहुंच गया है। जो कि यह काफी जोखिम सीमा से लगभग 100 गुना ज्यादा है।



