Bihar Election Result 2025: बिहार की ये सीटें तय करती हैं राज्य में किसकी सरकार बनेंगी? जनिए इसका इतिहास

दिव्यांशी भदौरिया     Nov 14, 2025
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Bihar Election Result 2025: बिहार की ये सीटें तय करती हैं राज्य में किसकी सरकार बनेंगी? जनिए इसका इतिहास

राज्य में सभी 243 सीटों पर 6 नवंबर और 11 नवंबर, दो चरणों में चुनाव हुए है। आज राज्य के 38 जिलों में बनें 46 मतदानों केंद्रों पर मतों की गिनती 8 बजे से शुरु हो चुकी है।

आज यानी 14 नवंबर को बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे आ रहे हैं। राज्य में सभी 243 सीटों पर 6 नवंबर और 11 नवंबर, दो चरणों में चुनाव हुए है। आज राज्य के 38 जिलों में बनें 46 मतदानों केंद्रों पर मतों की गिनती 8 बजे से शुरु हो चुकी है। इस समय शुरुआती रुझानों में एनडीए गठबंधन 157 सीटों पर आगे चल रहा है, वहीं महागठबंधन 75 सीटों से आगे हैं। ऐसे में आपको बताते हैं बिहार की उन 6 सीटों के बारे में, जो पार्टी की जीत तय करेंगी। तो चलिए बिना देर किए आपको बताते हैं, वे 6 विधानसभा सीटें कौन-सी है।

 

2020 से भाजपा का कब्जा रहा है


वर्ष 1980 और 1985 में कांग्रेस ने दो बार यह सीट जीती और राज्य में सरकार बनाई। पहले जनता दल और फिर राजद ने 2000 तक तीन बार यह सीट जीती और पार्टी ने सरकार बनाई। बात करें वर्ष 2005 और 2010 में भाजपा ने यहां से जीत दर्ज की है और जदयू प्रमुख नीतीश कुमार एनडीए सरकार शामिल हो गई है। वहीं, 2015 में राजद ने भाजपा से यह सीट छीन ली। जिसके बाद राज्य में राजद-जदयू -कांग्रेस सरकार बनीं। इस सीट से वर्तमान में बीजेपी के मुरारी मोहन झा विधायक हैं। पार्टी ने फिर इन्हें उम्मीदवार बनाया है। इनका मुकाबला राजद उम्मीदवार फराज फातमी से हैं, जो पूर्व केंद्रीय मंत्री अली अशरफ फातमी के बेटे हैं। 


सहरसा सीट


बिहार की सहरसा सीट भी एक निर्णायक सीट रही है कि राज्य में किसकी सरकार बनेंगी। 1977 से पहले इस सीट से काग्रेस की जीत होती रही है और राज्य में उसी पार्टी की सरकार बनीं है। 1977 में सहरसा से जनता पार्टी के शंकर प्रसाद टेकरीवाल जीते और राज्य में जनता पार्टी की सरकार बनीं थी। वहीं, 1980 और 1985 में कांग्रेस के रमेश झा और सतीश चंद्र झा जीते और राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी।


वर्ष 2005 में बीजेपी ने एंट्री ली


वर्ष 1990 से 2000 तक यहां फिर से टेकरीवाल जनता दल और राजद से जीते हैं। राज्य में उनकी सरकार बनी और टेकरीवाल लालू-रबड़ी सरकार में मंत्री बनें। हालांकि, 2005 और 2010 में भाजपा की जीत तय हुई है। लेकिन 2015 में राजद की जीत हुई और साल 2020 में भाजपा की जीत हुई। इस बार इस सीट पर भाजपा के निवर्तमान विधायक आलोक रंजन झा हैं। एक बार फिर से झा चुनावी मैदान में है। वहीं, महागठबंधन की ओर से आईआईपी के इंद्रजीत गुप्ता प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार हैं। 


मुजफ्फरपुर जिले की सकरा विधानसभा सीट


मुजफ्फरपुर की सीट वर्ष 1977 में बिहार की सकरा सीट में 1977 के बाद सिर्फ एक ही बार गड़बड़ी हुई है। 1985 में लोकदल के शिवनंदन पासवान ने यह सीट जीती थी, हालांकि कांग्रेस की सरकार बनीं थी। 1985 को छोड़ दीजिए, इस सीट पर लगातर सैम पैटर्न पर चलती रही है। इस सीट पर जिसकी जीत होगी, उसी की सरकार बनेंगी। वर्तमान में यह सीट जदयू के पास है।


मुंगेर सीट


साल 1985 में मुंगेर विधानसभा सीट पर 1985 में बड़ा उलटफेर हुआ था, जब लोकदल उम्मीदरवार ने जीत हासिल की थी।, हालांकि कांग्रेस ने सरकार बनाई। वर्तमान में बीजेपी के प्रणय कुमार यादव इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।


पूर्वी चंपारण की पिपरा 


बिहार के पूर्वी चंपारण की पिपरा एक और सीट जहां बिहार की सरकार तय होती है। वर्ष 2015 में उलटफेर हुआ था। भाजपा के श्यामबाबू प्रसाद यादव ने यह सीट जीती थी। जबकि नीतीश कुमार की पार्टी ने महागठबंधन की सरकार बनाई थी। वर्तमाम में इस सीट से यादव विधायक है माकपा के राजमंगल प्रसाद के खिलाफ चुनाव लड़े हैं।


शेखपुरा जिले की बरबीघा


बिहार के शेखपुरा जिले की बरबीघा सीट भी  पार्टी की जीत तय करती है। वर्ष 1977 में जनता पार्टी और फिर 2000 तक कांग्रेस ने जीती थी। साल 2000 में कांग्रेस राज्य में राजद सरकार हिस्सा बन गई है। साल 2015 में यह सीट काग्रेस के सुदर्शन कुमार ने जीत हासिल की और 2020 में कुमार जदयू के टिकट पर जीतें।