उजियारपुर में उपेन्द्र कुशवाहा की सीट पर खतरा! फिर ‘कमल’ खिलाने के लिए भी बड़ी चुनौती

LSChunav     Apr 24, 2019
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उजियारपुर में उपेन्द्र कुशवाहा की सीट पर खतरा! फिर ‘कमल’ खिलाने के लिए भी बड़ी चुनौती

उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र में कुशवाहा और यादव मतदाताओं की अच्छी-खासी तादाद है, जो अतीत में जीत-हार में अपनी अहम भूमिका निभाते रहे हैं। नित्यानंद राय, यादव समाज से आते हैं जबकि कुशवाहा समुदाय से उपेन्द्र कुशवाहा हैं।

बिहार। ‘‘जीतने के बाद क्षेत्र में नहीं आने पर जनता छोड़ देती है... दिल्ली, बम्बई रहियेगा जो क्षेत्र से उखड़ जाइयेगा’’, यह टिप्पणी उजियारपुर लोकसभा सीट पर अपनी किस्मत आजमा रहे भाजपा के नित्यानंद राय और महागठबंधन के उपेन्द्र कुशवाहा के बारे में पातेपुर, विभूतिपुर से लेकर सरायरंजन तक एक बड़े वर्ग के लोगों की है। 

शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में स्थिति ज्यों की त्यों 

लोगों का कहना है कि सड़क एवं बिजली के क्षेत्र में काफी अच्छा काम हुआ है लेकिन शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है। उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र में कुशवाहा और यादव मतदाताओं की अच्छी-खासी तादाद है, जो अतीत में जीत-हार में अपनी अहम भूमिका निभाते रहे हैं। नित्यानंद राय, यादव समाज से आते हैं जबकि कुशवाहा समुदाय से उपेन्द्र कुशवाहा हैं। यहां 29 अप्रैल को मतदान होना है। 

बस छह-सात घंटे मुश्किल से बिजली रहती है

उजियारपुर के रास्ते में लोकनाथपुर गंज में सुबह-सुबह एक चाय की दुकान पर लोग जुटे हैं। चर्चा चुनाव की हुई तो स्थानीय निवासी साजन पासवान बोले, ‘हर क्षेत्र में काम हुआ है, पहले छह-सात घंटे मुश्किल से बिजली रहती थी, अब 15 से 18 घंटे रहती है। लेकिन सांसद महोदय खुद नहीं आते हैं।’’ मालपुर पंचायत के उमेश यादव पेशे से वकील हैं। वे कहते हैं कि ठीक है कि इस क्षेत्र में कुछ बुनियादी काम हुए हैं लेकिन शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा की स्थिति खराब है। सांसद महोदय क्षेत्र में नहीं आते। यही स्थिति तो उपेन्द्र कुशवाह की है जिसके कारण उन्हें दो सीटों पर चुनाव लड़ना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘जीतने के बाद क्षेत्र में नहीं आने पर जनता छोड़ देती है... दिल्ली, बम्बई रहियेगा जो क्षेत्र से उखड़ जाइयेगा।’’

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जाति, धर्म से कोई फायदा नहीं होने वाला 

विद्यापति नगर में गोस्वामी समुदाय के जगबंधु गिरि कहते हैं कि पिछले पांच वर्षो में इस क्षेत्र में काम हुआ है, विद्यापति नगर में रेलवे स्टेशन का विकास एवं विस्तार कार्य इसमें महत्वपूर्ण है। लेकिन वर्षों से विद्यापति इंटर कालेज को मान्यता नहीं मिलने का उन्हें मलाल है। शीतलापट्टी में युवाओं का एक बड़ा वर्ग मानता है कि अब जाति, धर्म से कोई फायदा नहीं होने वाला है। उनका कहना है कि उनकी युवा पीढ़ी के लिए जाति और धर्म कोई मायने नहीं रखता है। पहले की पीढ़ी के लोग जाति पर वोट कर देख चुके हैं, उससे न जाति को लाभ हुआ और न ही समाज को।

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उजियारपुर में कांटे की लड़ाई 

उजियारपुर में कांटे की लड़ाई में चुनाव का मुद्दा स्थानीय भी है और राष्ट्रीय भी। नित्यानंद राय अपने चुनावी दौरों में यह बता रहे हैं कि पांच साल में विकास के कौन-कौन से काम हुए। साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा एवं आर्थिक विकास का जिक्र करते हुए यह भी समझाते हैं कि नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री बनना देश के लिए क्यों जरूरी ह। राय ने कहा कि काराकाट से भागकर उपेंद्र कुशवाहा यहां आ रहे हैं और वहां से जीतने के बाद भागे हैं और यहां हारने के बाद भागेंगे।

उपेंद्र कुशवाहा ने कहा लोकतंत्र खतरे में है

दूसरी तरफ, उपेंद्र कुशवाहा क्षेत्र के मुद्दे उठाने के साथ-साथ यह भी बता रहे हैं कि देश एवं लोकतंत्र खतरे में है। उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले पांच साल में पढ़ाई, दवाई और कमाई का वादा पूरा नहीं हुआ और सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमतर करने का प्रयास किया गया। नित्यानंद राय उजियारपुर से वर्तमान सांसद और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हैं। वहीं उपेन्द्र कुशवाहा पिछले लोकसभा चुनाव में काराकाट से विजयी रहे थे। इस चुनाव में वे काराकाट और उजियारपुर दो सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं । उजियारपुर सीट 2008 के परिसिमन के बाद अस्तित्व में आई। 

अजय कुमार के निशाने नित्यानंद राय और उपेंद्र कुशवाहा 

माकपा प्रत्याशी अजय कुमार के निशाने पर दोनों उम्मीदवार हैं। माकपा के उम्मीदवार अजय कुमार की ताकत अपने कैडर वोट हैं। उजियारपुर के कई इलाकों में माकपा ने संघर्ष के बल पर अपनी जमीन तैयार की है। 2014 में उजियारपुर से भाजपा के नित्यानंद राय ने राजद के आलोक कुमार मेहता को करीब 60 हजार मतों के अंतर से पराजित किया था । जदयू की अश्वमेघ देवी को तीसरा स्थान मिला था, तब बिहार के राजनीतिक समीकरण में रालोसपा, राजग के साथ खड़ी थी। इस बार उपेंद्र कुशवाहा महागठबंधन में हैं, वहीं जदयू राजग में है। इस लिहाज से चुनाव में उजियारपुर में नये सामाजिक समीकरण की परीक्षा भी होने वाली है। नये समीकरण ने नित्यानंद राय के सामने नयी चुनौती पेश कर दी है। उन्हें अपने आधार मतों को गोलबंद रखने के साथ-साथ महागठबंधन के मतों को भी ज्यादा से ज्यादा संख्या में अपने पक्ष में करने की चुनौती है । 2014 में मोदी लहर पर सवार नित्यानंद राय ने संसदीय क्षेत्र के प्रत्येक विधानसभा सीट पर बढ़त कायम की थी।

वहीं, उपेंद्र कुशवाहा के सामने चुनौती अपने वोट बैंक को हासिल करने के साथ-साथ राजद के आधार मतों को अपने पक्ष में ज्यादा से ज्यादा हस्तांतरित कराने की है। उजियारपुर संसदीय क्षेत्र में 6 विधानसभा सीटें हैं जिनमें पातेपुर, उजियारपुर, मोरवा, सरायरंजन, मोहिउद्दीन नगर और विभूतिपुर शामिल है। इनमें पातेपुर सीट आरक्षित है। 2014 के चुनाव में भाजपा के नित्यानंद राय ने राजद के प्रत्याशी आलोक कुमार मेहता को हराया था । राय को 3,17,352 वोट और मेहता को 2,56,883 वोट मिले थे जबकि तीसरे स्थान पर रही जदयू उम्मीदवार अश्वमेध देवी को लगभग सवा लाख वोट मिले थे । चौथे स्थान पर माकपा के रामदेव वर्मा को 53 हजार वोट प्राप्त हुए थे। 2009 के लोकसभा चुनाव में जदयू उम्मीदवार अश्वमेध देवी ने जीत हासिल की थी । उन्होंने राजद प्रत्याशी आलोक कुमार वर्मा को हराया था।