विधानसभा चुनाव से पहले ही पुडुचेरी में अनिश्चितता का माहौल, आखिर किसकी बनेगी सरकार?
विधानसभा चुनाव से पहले ही केंद्र शासित प्रदेश अनिश्चितता के माहौल से गुजरने लगा। पुडुचेरी में हुए अचानक राजनीतिक घटनाक्रम के तहत एक और विधायक के इस्तीफे के बाद केंद्र शासित प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने विधानसभा में अपना बहुमत खो दिया, जबकि उपराज्यपाल किरण बेदी को उनके पद से हटा दिया गया। विश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले मुख्यमंत्री वी नारायणसामी के इस्तीफे के कारण पुडुचेरी में कांग्रेस सरकार गिर गई।
पुडुचेरी में चुनावी बिगुल बज चुका है। मुख्य चुनाव आयुक्त के मुताबिक 6 अप्रैल को पुडुचेरी में 30 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव होगा। विधानसभा चुनाव से पहले ही केंद्र शासित प्रदेश अनिश्चितता के माहौल से गुजरने लगा। पुडुचेरी में हुए अचानक राजनीतिक घटनाक्रम के तहत एक और विधायक के इस्तीफे के बाद केंद्र शासित प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने विधानसभा में अपना बहुमत खो दिया, जबकि उपराज्यपाल किरण बेदी को उनके पद से हटा दिया गया। विश्वास प्रस्ताव पर मतदान से पहले मुख्यमंत्री वी नारायणसामी के इस्तीफे के कारण पुडुचेरी में कांग्रेस सरकार गिर गई। वी नारायणसामी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस राजनीतिक दल के सदस्य हैं। वे पुडुचेरी के पूर्व मुख्यमंत्री हैं। इससे पहले वे पंद्रहवीं लोकसभा के मंत्रीमंडल में योजना एवं संसदीय कार्य राज्यमंत्री रह चुके हैं। वी। नारायणसामी ने राज्यसभा सांसद के रूप में तीन कार्यकाल दिए और 2009 से 2014 तक पुडुचेरी निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के सदस्य रहे। वे मनमोहन सिंह की दूसरी सरकार के साथ-साथ राज्य मंत्री, संसदीय मामलों में प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री थे। पहली यूपीए सरकार 2014 के आम चुनावों में, उन्हें एनडीए के उम्मीदवार आर।राधाकृष्णन ने हराया था। वह कांग्रेस कार्य समिति के साथ-साथ अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव हैं। मई 2016 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम गठबंधन द्वारा पुडुचेरी विधान सभा चुनाव जीतने के बाद उन्हें पुडुचेरी का मुख्यमंत्री नामित किया गया था। 6 जून 2016 को, उन्होंने एन। रंगास्वामी की जगह ली और पुडुचेरी के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। 22 फरवरी 2021 को, कांग्रेस सरकार द्वारा विधान सभा में बहुमत खो देने और विश्वास मत के गिरने के बाद नारायणसामी ने पद से इस्तीफा दे दिया।
वी नारायाणसामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं केंद्र शासित प्रदेश की उपराज्यपाल डॉ किरण बेदी पर आरोप लगाया था कि वे पुडुचेरी को पड़ोसी राज्य तमिलनाडु में मिलाना चाहते हैं। सत्ताधारी पार्टी की लंबे समय से मांग के बाद, 16 फरवरी 2021 को किरण बेदी को पुडुचेरी के उपराजयपाल के पद से हटा दिया गया था। उनकी जगह तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सौंदराराजन को पुडुचेरी का अतिरिक्त प्रभार दिया गया। गौरतलब है कि बेदी को 2016 में पुडुचेरी का उपराज्यपाल नियुक्त किया गया था।
इसे भी पढ़ें: हिंसा के बीच भाजपा ने खुद को किया बुलंद पर मुस्लिम मतदाताओं को साधने की जरुरत
पुडुचेरी की राजनीति में एन रंगासामी एक प्रमुख नाम है। रंगासामी ने दो बार लंबे समय तक केंद्रशासित प्रदेश पुडुचेरी के मुख्यमंत्री के रूप में काम किया है। पहली बार कांग्रेस के सदस्य के रूप में, और दूसरी बार जब उन्होंने अपनी पार्टी की स्थापना की। रंगासामी अपनी पार्टी बनाने के बाद तीन महीने में मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड रखते हैं। वे पुडुचेरी के अकेले ऐसे शख्स हैं, जो अपने दम पर एक नई पार्टी शुरू करके पुडुचेरी का मुख्यमंत्री बना है। वह अपनी सरलता और दयालुता के लिए जाने जाते हैं इसलिए उन्हें जीवित जूनियर कामराज कहा जाता है। मुख्यमंत्री के रूप में अपने पहले कार्यकाल के दौरान, उन्होंने सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की थीं। पुडुचेरी को "हट-फ्री ज़ोन" बनाने के लिए 'पेरंटहलाइवर कामराजार' हाउसिंग स्कीम, मुफ्त पाठ्य पुस्तकों का वितरण, नोट बुक, रेन कोट, साइकिल, छाता आदि का वितरण। 'श्री राजीव गांधी नाश्ता योजना', जिसके तहत सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के छात्रों को मध्याह्न भोजन योजना के अलावा, मुफ्त एलपीजी कनेक्शन और बीपीएल परिवारों को सिलेंडर के साथ गर्म दूध और बिस्कुट दिए जाते थे। महिलाओं के नाम पर पंजीकृत अचल संपत्ति के लिए स्टैंप ड्यूटी पर 50% रियायत और मेडिसिन और इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए CENTAC के माध्यम से चयनित छात्रों के लिए ट्यूशन फीस की पूरी प्रतिपूर्ति। ऐसी कई योजनाएं चलाने के लिए रंगासामी को 'लोगों का मुख्यमंत्री' कहा जाता था। 28 अगस्त 2008 को रंगास्वामी ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने उन्हें आंतरिक राजनीति के कारण इस्तीफा देने के लिए कहा था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद, उन्होंने 7 फरवरी 2011 को ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस नामक एक नई राजनीतिक पार्टी की शुरुआत की थी। तीन महीने के भीतर, 2011 के विधान सभा चुनावों में, उनकी पार्टी ने चुनाव लड़ी 17 सीटों में से 15 सीटों पर जीत हासिल की और उसके गठबंधन के साथी, ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम को 10 सीटों में से 5 सीटें मिलीं।
कई ऐसे मुद्दे हैं, जो पुडुचेरी विधानसभा चुनाव की लड़ाई में अहम हैं। पुडुचेरी में मत्स्य पालन रोजगार का एक मुख्य स्त्रोत है। ऐसे में सभी पार्टियां मछुआरों की सुरक्षा और कल्याण को चुनावी मुद्दा बना कर पेश कर रही हैं। इसके अलावा पर्यटन, कानून और व्यवस्था भी पुडुचेरी में एक अहम चुनावी मुद्दा है। हर पार्टी अपने-अपने ढंग से पुडुचेरी के लोगों का विश्वास जीतने की कोशिश में लगी है। हाल ही में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने पुडुचेरी के अपने हालिया दौरे में मत्स्य पालन के लिए समर्पित मंत्रालय की मांग उठाई थी। जहाँ, कांग्रेस ने दवा किया है कि अगर पुडुचेरी में कांग्रेस सरकार बनी तो पुडुचेरी तमिलनाडु में विलय नहीं होगा। वहीं, आगामी विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पुडुचेरी को विभिन्न विकास परियोजनाओं की सौगात दी है। प्रधानमंत्री ने इस दौरान सागरमाला योजना के तहत माइनर बंदरगाह का शिलान्यास किया तथा राष्ट्रीय राजमार्ग 45-ए को चार लेन में परिवर्तित किए जाने और कराईकल जिले में मेडिकल कॉलेज भवन के नए परिसर के निर्माण की आधारशिला रखी। राष्ट्रीय राजमार्ग 45-ए के तहत विल्लुपुरम से नागपट्टिनम परियोजना का 56 किमी लंबा सतनाथपुरम-नागापट्टिनम मार्ग आएगा। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने यहां स्थित इंदिरा गांधी खेल परिसर में सिंथेटिक एथलेटिक ट्रैक का शिलान्यास किया। प्रधानमंत्री ने जवाहरलाल इंस्टिट्यूट ऑफ पोस्टग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (जेआईपीएमईआर) में ब्लड सेंटर का उद्घाटन किया। इसे 28 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित किया गया है। उन्होंने यहां के लॉस्पेट इलाके में 100 बिस्तर वाले गर्ल्स हॉस्टल का भी उद्घाटन किया।
बहरहाल, हर पार्टी और नेता अपने-अपने दावे और वाडे कर रहे हैं लेकिन पुडुचेरी में किसकी सरकार बनेगी यह तो आने वाला समय ही बताएगा।