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दो पैन कार्ड केस: अभियोजन ने बढ़ाई सजा की मांग, आजम-अब्दुल्ला की बढ़ी मुश्किलें

By LSChunav | Dec 06, 2025

इस समय दो पैन कार्ड में सपा नेता आजम खां और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खां की मुश्किलें बढ़ गई हैं। 7 साल की सजा बढ़वाने की मांग को लेकर अभियोजन पक्ष की तरफ से सेशन कोर्ट में अपील दायर की गई है। दूसरी सजा के खिलाफ आजम के अधिवक्ताओं ने और राहत की मांग को लेकर कई तर्क दिए गए हैं। इस फैसले को लेकर सेशन कोर्ट अब इन दोनों बिंदुओं पर 23 दिसंबर को अपना फैसला सुना सकता है।

क्या है पूरा मामला?

बता दें कि, दो पैन कार्ड में एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट ने पिछले दिनों सपा नेता आजम खां और अब्दुल्ला आजम को सात-सात साल की सजा व 50-50 हजार रुपये का जुर्माना अदा करने की सजा सुनाई थी। इस मामले में मजिस्ट्रेट के फैसले के खिलाफ अब सेशन कोर्ट में शरण ली है।

उनके अधिवक्ताओं की तरफ से सेशन कोर्ट में निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपील दायर की गई है। इसके साथ ही जमानत के लिए भी प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया है, जिस पर सेशन कोर्ट में सुनवाई चल रही है।

शुक्रवार को इस मामले में सुनवाई हुई, जिसके दौरान अभियोजन पक्ष ने निचली अदालत द्वारा दी गई सात साल की सजा को बढ़ाए जाने की मांग करते हुए अपील दायर की। सहायक शासकीय अधिवक्ता सीमा सिंह राणा ने बताया कि अभियोजन की ओर से प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया है, जिसमें सजा बढ़ाने का अनुरोध किया गया है।

23 दिसंबर को होगी सुनवाई

इस प्रार्थना पत्र पर 23 दिसंबर को सुनवाई होगी। दूसरी तरफ इस मामले में आजम खां के अधिवक्ताओं की ओर से दाखिल अपील पर बचाव पक्ष की ओर से अतिरिक्त आधार भी दाखिल किए गए। एडीजीसी ने बताया कि दोनों ही प्रार्थना पत्रों पर कोर्ट 23 दिसंबर को सुनवाई करेंगे।
 
7 साल की सजा सुनाई गई 

सपा नेता आजम खान के बेटे और पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम के खिलाफ दो पासपोर्ट रखने के मामले में वर्ष 2019 में शहर विधायक आकाश सक्सेना द्वारा सिविल लाइंस थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। आरोप था कि अब्दुल्ला आजम के पास दो अलग-अलग पासपोर्ट हैं, जिनमें जन्मतिथि भी भिन्न-भिन्न दर्ज है, और इनमें से एक पासपोर्ट का उपयोग उन्होंने विदेश यात्रा के लिए किया था। यह मामला लंबे समय से एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट में विचाराधीन था।
 
मुकदमे को निरस्त कराने के लिए अब्दुल्ला आजम सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचे, लेकिन वहां से भी उन्हें राहत नहीं मिल सकी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद मामले की सुनवाई फिर शुरू हुई और शुक्रवार को अदालत ने अपना फैसला सुना दिया। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश किए गए अब्दुल्ला आजम को कोर्ट ने आरोपों में दोषी पाया और एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट शोभित बंसल ने उन्हें सात साल की कैद तथा पचास हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई। 
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