धीरे-धीर बिहार विधानसभा चुनाव बेहद करीब आ रहे है। इस दौरान नडीए में लोजपा (रा) को मिलने वाली सीटों पर शंका बनी हुई है। फिलहाल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान एवं दूसरे नेताओं की ओर किए जावे दावे को लेकर एनडीए की कोई भी आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। लेकिन बीच-बीच में लोजपा अपने गंठबंधन के घटक दलों से जरुर उलझा रही है। इस बीच, पार्टी के प्रधान महासचिव और सांसद अरुण भारती ने शुक्रवार को जदयू को लेकर टिप्पणी की है।
उन्होंने फेसबुक पर लिखा कि मीडिया के कई साथी जब यह चर्चा करते हैं कि लोजपा (रा), जिसके आज बिहार विधानसभा में एक भी विधायक नहीं है, को आने वाले चुनाव में सम्मानजनक सीटें नहीं मिलेंगी, तो यह धारणा बड़ी सतही और अधूरी प्रतीत होती है। असलियत यह है कि कुछ लोग लोजपा (रा) को केवल सीमित सीटों तक बांधकर देखना चाहते हैं, मानो उसकी असली ताक़त और जनता में उसकी पकड़ को नज़र अंदाज़ किया जा सकता हो।
दो सांसदों की पार्टी को 17 सीटें, हमारे पास तो पांच हैं
आगे उन्होंने लिखा कि लेकिन बिहार की राजनीति और एनडीए का इतिहास बार-बार इसके बिल्कुल उलट गवाही देता है। 2019 के लोकसभा चुनाव में जब सिर्फ़ दो सांसद की पार्टी को लोकसभा चुनाव में 17 सीटें मिल सकती हैं, 2024 के लोकसभा चुनाव में जब केवल एक सांसद वाली पार्टी को पांच सीटें दी जा सकती हैं और वह पांंचों सीटों पर जीत दर्ज करके गठबंधन के भरोसे को और मजबूत कर सकती है, तब यह तर्क ही बेमानी हो जाता है कि लोजपा (रा) को विधानसभा चुनाव में सीमित हिस्सेदारी दी जानी चाहिए।
2014 में जदयू सिर्फ 2 सीटें पर जीते थे
आपको बताते चले कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में जदयू की केवल दो सीटों पर जीत हुई थी। वहीं, 2019 में जब वह एनडीए में शामिल हुए तो उसे लड़ने के लिए 17 सीटे मिली थी। इसके अलावा, साल 2024 में लोजपा (रा) के केवल एक सांसद चिराग पासवान थे। इस पार्टी को केवल 5 सीटें दी गई थी।