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मोगा रैली को छोड़ छुट्टियां मनाने के लिए निकले 'राहुल', क्या कांग्रेस की साख को बचाना नहीं है जरूरी ?

By LSChunav | Jan 31, 2022

जहाँ पंजाब में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले लगातार समीकरण बदलते हुए दिखाई दे रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस का आला नेतृत्व भी सीरियस नहीं दिखाई दे रहा है। अमरिंदर सिंह के पार्टी छोड़ने के बाद प्रदेश में कांग्रेस की साख कमजोर हुई है और चरणजीत सिंह चन्नी और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच की लड़ाई भी किसी से छिपी नहीं है। विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र 3 जनवरी 2022 को मोगा में रैली होनी थी, जिसमें राहुल गांधी भी शामिल होने वाले थे। लेकिन अब पार्टी की तरफ से खबर आई है कि राहुल गाँधी विदेश यात्रा के लिए रवाना हो गए हैं। 
दौरा स्‍थगित होने के बाद उनकी पार्टी द्वारा बताया गया है कि राहुल छोटे विदेश दौरे पर रवाना हो गए हैं। उनकी इस यात्रा पर दूसरी पार्टियों के लोगों द्वारा कई तरह के बयान आ रहे हैं, जिस पर प्रार्टी के मुख्‍य प्रवक्‍ता रणदीप सुरजेवाला को सफाई देनी पड़ी है।
सूत्रों के अनुसार राहुल ने दिल्ली में एआईसीसी मुख्यालय में पार्टी के 137वें स्थापना दिवस कार्यक्रम में भाग लेने के एक दिन बाद विदेश के लिए रवाना हो गए। सूत्रों ने कहा कि राहुल गाँधी इटली में नया साल मना सकते हैं, जहां वह पिछले साल की तरह अपनी नानी के साथ समय बिताएंगे।
राहुल की विदेश यात्रा की पुष्टि करते हुए अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘‘राहुल गांधी संक्षिप्त निजी यात्रा पर गए हैं। भाजपा और मीडिया में उसके दोस्तों को अनावश्यक अफवाहें नहीं फैलानी चाहिए।’’ कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी को 3 जनवरी को पंजाब के मोगा में एक चुनावी रैली को संबोधित करना है और वह संभवत: उससे पहले ही लौट आएंगे। पांच राज्यों- उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनावों की घोषणा जनवरी के मध्य में होने की संभावना है।
अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, राहुल की विदेश यात्रा ने कांग्रेस की पंजाब इकाई में बेचैनी पैदा कर दी है क्योंकि यह ऐसे समय में आई है जब पार्टी में विधानसभा चुनावों के लिए गुटबाजी हो रही है और लोग पार्टी छोड़ रहे हैं। राज्य पार्टी के एक नेता ने नाम ना बताने की शर्त पर कहा कि मोगा रैली को एकता का प्रदर्शन माना जा रहा था।
भाजपा का अमरिंदर सिंह और शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) के साथ चुनावी गठबंधन हो चुका है। वहीं आम आदमी पार्टी मतदाताओं को लुभाने के लगातार चुनावी वादे कर रही है। जबकि कांग्रेस ने तो यह भी स्पष्ट नहीं किया है कि आगामी विधानसभा चुनाव किसके चेहरे पर लड़ने वाली है ? ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि क्या कांग्रेस अपनी कुर्सी बचा पाती है या फिर कोई और दल सत्ता का स्वाद चखेगा।
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