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नीतीश का 'चाणक्य' दांव! सम्राट चौधरी 'गृहमंत्री' होकर भी क्यों हुए 'सम्राट' बनने से दूर?

By LSChunav | Dec 27, 2025

अब चाहे भाजपा इस बात को लेकर अपनी पीठ थपथपा रही है कि 20 साल के संघर्ष के बाद ही पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से गृह विभाग हासिल कर ली। लेकिन जल्दबाजी में उनसे गलती हो गई है कि गृह के साथ सामान्य प्रशासन भी यदि बीजेपी ले लेती तो इन दोनों विभाग के मंत्री होने पर सम्राट चौधरी और भी शक्तिशाली हो कर निखर सकते थे। यह तो सच है कि सीएम नीतीश कुमार के कद से वो बड़े तो नहीं होते। हालांकि, इतना जरूर होता है कि गृह विभाग के द्वारा किए हर फैसले पर सामान्य प्रशासन की नकेल का भय नहीं होता है। गृह के साथ सामान्य प्रशासन के बिना गृह मंत्री सम्राट चौधरी की निर्भरता मुख्यमंत्री के प्रति कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती है। ऐसे में गृह विभाग लेने के बावजूद बीजेपी अपने को कहां पिछड़ती पा रही है। वो कैसे आइए आपको बताते हैं..

नीतीश का होमियोपैथिक इलाज

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा को सामान्य प्रशासन विभाग न देकर नियंत्रण की चाबी अपने पास रख ली है। सचिव से हर विभाग को अपने नियंत्रण में रखने की रणनीति सीएम नीतीश कुमार की चाणक्य नीति का एक उदाहरण है। भाजपा या साथी दल के मंत्री यहां तक कि जदयू के भी मंत्री यदि ज्यादा फड़फड़ाने लगें तो सीएम नीतीश कुमार सबका हेमियोपैथिक इलाज करते हैं।

सामान्य प्रशासन विभाग की वैल्यू समझें

गृह विभाग के संदर्भ में देखें तो नीतीश कुमार सीधे तौर पर उसमें दखल देने की स्थिति में नहीं होंगे। लेकिन यदि गृह मंत्री और गृह सचिव के बीच गृह विभाग या कानून-व्यवस्था से जुड़े किसी मुद्दे पर मतभेद उत्पन्न होते हैं, तो वह मामला अंततः मुख्यमंत्री तक ही पहुंचेगा। ऐसी स्थिति में सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख के रूप में वे सीधे मुख्य सचिव को तलब कर सकते हैं, क्योंकि राज्य के सभी आईएएस अधिकारी किसी न किसी रूप में मुख्य सचिव को ही रिपोर्ट करते हैं।

सामान्य प्रशासन और अधिकारियों की नकेल

ऐसे में नीतीश कुमार ने सामान्य प्रशासन अपने पास रख कर आईएएस लॉबी को साध लिया। गृह विभाग या अन्य विभाग के काम के प्रति भी सीएम के पास कुछ शिकायत होती है औऱ वो इस शिकायत से जब संतुष्ट हो जाते हैं तो नियंत्रण का एक सूत्र वाक्य होता है 'सचिव महोदय आप रिपोर्ट करेंगे'। न जाने कितनी ऐसी घटनाएं हैं जब नीतीश सचिव के माध्यम से विभाग के स्थानांतरण की फाइल पर नजर रखते हैं और काफी गड़बड़ी होने पर फाइल ही मंगा लेते हैं। इसलिए गृह मंत्री रहते डीएसपी या दरोगा आदि का ट्रांसफर गृह मंत्री करते हैं पर कोई विवाद आया या फिर इंटेंशन की बात उठी तो पूरे ट्रांसफर पर ही सीएम रोक लगा सकते हैं, क्योंकि सामान्य प्रशासन विभाग के साथ ही ये अधिकार स्वत: जुड़ जाता है। कुल मिलाकर सम्राट चौधरी इस बार भी सम्राट न बन पाए। किंग नीतीश ही रहे। 

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