आज आपको राजनीति का एक ऐसी कहानी बताने जा रहे हैं, जो आपने शायद ही सुना होगा। यह किस्सा नवंबर 1989 का है। जब देवी लाल दिल्ली के हरियाणा भवन में काफी परेशान बैठे थे। देवीलाल के सामने बड़ी कठिनाई थी कि हरियाणा की कमान किसे सौंपी जाए। उन्हें अपने बड़े बेटे ओम प्रकाश चौटाला और बेटे रणजीत सिंह में से किसी एक को चुनना था। 1 दिसंबर 1989 को रणजीत ने दिल्ली के एक होटल में अपने समर्थकों के साथ बैठक की और इसके बाद वे चंडीगढ़ पहुंचे और सीएम बनने की तैयारी में जुट गए। संपत सिंह ने बताया कि देवी लाल जी ने तुरंत वीवी सिंह को फोन करके 2 दिसंबर, 1989 को केंद्र में शामिल होने की सहमति दी और ओम प्रकाश चौटाला को अपना उत्तराधिकारी और अगला हरियाणा का मुख्यमंत्री घोषित किया।
खानपान का ध्यान रखते थे चौटाला
आपको बता दें कि, ओम प्रकाश चौटाला के साथ पांच बार मंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। संपत सिंह ने बताया है कि चौटाला काफी अनुशासित थे और हमेशा समय के पाबंद थे। अपनी शारीरिक स्थिति के बाद भी, वे अपने खानपान में अनुशासित थे। चौटाला सादा भोजन करते थे और जीवन में कभी शराब या किसी अन्य प्रकार का नशा नहीं किया। उनकी याददाश्त भी काफी तेज थी।