लंबे समय के बाद देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे साथ में बैठे, क्या था मीटिंग एजेंडा?

दिव्यांशी भदौरिया     Dec 23, 2025
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लंबे समय के बाद देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे साथ में बैठे, क्या था मीटिंग एजेंडा?

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच हाल ही में बैठक हुई। काफी समय बाद दोनों नेता एक साथ बैठकर बातचीत करते नजर आए। नई सरकार बनने के बाद से ही दोनों के बीच मतभेद और तनाव की चर्चाएं सामने आती रही हैं, ऐसे में यह मुलाकात खास मानी जा रही है।

इस समय महाराष्ट्र में स्थनीय निकाय चुनावों के बाद काफी चर्चा में, क्योंकि बहुत जल्द ही मुंबई नगर निगम यानी बीएमसी इलेक्शन की बारी है। यहां पर शिवसेना और भाजपा परंपरागत रूप से मजबूत रहे हैं, लेकिन इस बार भाजपा बीजेपी ज्यादा सीटें चाहती हैं। यही कारण है कि एकनाथ शिंदे की शिवसेना और भाजपा के बीच कुछ खींचतान भी चल रही है। इसको खत्म करने के लिए रविवार को लगातार दो घंटे तक सीएम देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे की मीटिंग हुई। काफी समय के बाद दोनों नेता एक साथ बैठे और चर्चा की।

आपको बता दें कि, महायुति की यह बैठक सीएम फडणवीस के वर्षा बंगले पर हुई। सूत्रों से पता चला है कि भाजपा, शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी के बीच बने महायुति गठबंधन में 150 सीटों को लेकर सहमति है। हालांकि, अब कुल 227 सीटों वाली बीएमसी की 77 सीटों पर मंथन बाकी था। ऐसी स्थिति में रविवार को मीटिंग हुई। कहा जा रहा है कि इस बैठक में 30 से 35 सीटों को लेकर मामला को सुलझाया गया है। हालांकि, करीब 40 सीटों को लेकर अब भी बात होनी बाकी है।

फडणवीस ने भाजपा कार्यकर्ताओं को दी नसीहत

हाल ही में देवेंद्र फडणवीस ने बीजेपी के कार्यकर्ताओं और नेताओं को नसीहत भी दी है। उन्होंने कहा कि भाजपा का कोई भी नेता या वर्कर साथी दलों को टारगेट करते हुए हमले ना करें। देश में सबसे अमीर नगर निकाय कहे जाने वाला बीएमसी के चुनाव को लेकर भाजपा बेहद उत्साहित है। लेकिन एकनाथ शिंदे इसे शिवसेना के शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देख रहे हैं।

एकनाथ शिंदे क्या चाहते हैं? 

जरुरी बात तो यह है कि अन्य निकायों के चुनाव में भी एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने उद्धव सेना के मुकाबले बड़ी बढ़त हासिल की है। क्योंकि वह भी चाहते हैं कि बीएमसी में उनकी ताकत कम ना हो। इस बीच, अजित पवार कह चुके हैं कि हम गठबंधन के साथ हैं और जो भी सीटें मिलेंगी, उन पर चुनाव लड़ेंगे। ऐसे में दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस, शरद पवार की एनसीपी और उद्धव सेना के बीच सहमति नहीं बन सकी है।