बिहार राजनीतिक गलियारों में इस समय काफी हलचल देखने को मिल रही है। इस बार चुनाव में सभी राजनैतिक पार्टियां अपना एड़ी चोटी बल लगा रही हैं। बिहार के ब्रह्मपुर विधानसभा निवार्चन क्षेत्र की सीट पर भारतीय जनता पार्टी के लिए मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है। लगातार संघर्ष के बाद भी हार की चुनौती से निपटने के लिए पार्टी इस बार भी पूरी तरह रणनीति चाल चल रही है। दरअसल, 1990 में डॉ. स्वामीनाथ तिवारी की जीत के बाद पार्टी को यहां पर काफी स्ट्रगल देखना पड़ा। इतना ही नहीं, राजद के अजीत चौधरी ने कई बार चुनाव जीता लेकिन 2010 में भाजपा की दिलमणि देवी ने उन्हें हराया। 2015 में राजद ने शंभू नाथ सिंह यादव को जिताया। 2020 में भाजपा ने वीआईपी को सीट दी पर वे हार गए।
राजद ने कौन-सा प्रयोग किया
आपको बता दें कि, बीजेपी का यह फैसला अभी तक सही हुआ नहीं। दूसरी ओर राजद ने भी चार चुनाव जीतने वाले अजीत चौधरी को धूल चटा के, शंभू नाथ सिंह यादव को प्रत्याशी बनाया। यह प्रयोग राजद का सफल भी रहा है और शंभू नाथ पहले बार चुनाव जीत गए थे। वहीं, 2020 में भाजपा कमजोर स्थिति में मैदान से हट गई थी, सहयोगी दल को सीट तक दे दी थी। हालांकि, वीआइपी के प्रत्याशी तीसरे स्थान पर पहुंच गए थे। इस बार इस सीट पर भाजपा ने कई सर्वे भी कराए हैं। अब सवाल उठता है कि भाजपा इस बार इस सीट को अपने पास रखेगी या नहीं।