पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी को आंध्र प्रदेश में एक फीसदी से भी कम वोट मिले थे। वहीं साल 2024 लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी राज्य में खुद को अच्छी स्थिति में पा रही है। इसका मुख्य कारण यह है कि आंध्र प्रदेश के दोनों क्षेत्रीय दल यानी की टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस अपने पक्ष में बीजेपी को रखने के लिए एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। ऐसे में राज्य में गठबंधन करने या न करने को लेकर भाजपा पार्टी असमंजस की स्थिति में हैं।
दोनों क्षेत्रीय दलों के सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, एन चंद्रबाबू नायडू की अगुवाई वाली टीडीपी पार्टी भाजपा के साथ गठबंधन करना चाहती हैं। तो वहीं आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टी वाईएस आर कांग्रेस चाहती है कि साल 2019 के चुनाव की तरह भाजपा आगामी आम चुनाव में अकेले उतरे। वाईएसआर कांग्रेस के लिए राज्य में मुसलमानों और ईसाइयों के अल्पसंख्यक वोटों को ठोस आधार के रूप में देखा जाता है। ऐसे में नेताओं का मानना है कि भाजपा के साथ गठबंधन उनकी पार्टी से लिए सकारात्मक साबित नहीं होगा।
हांलाकि संसद में पीएम नरेंद्र मोदी सरकार के एजेंडे का उन्होंने अपने निर्विवाद समर्थन को रेखांकित करने के लिए किया है। वाईएसआर कांग्रेस के एक नेता के मुताबिक अपने चुनावी सहयोगियों के साथ भाजपा के मतभेद रहे हैं। लेकिन बीजेपी का उनकी पार्टी के साथ कभी मतभेद नहीं रहा है। वहीं मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी का भी बीजेपी नेतृत्व के साथ अच्छे संबंध हैं। सत्ता में हिस्सेदारी की परवाह किए बिना उनका समर्थन पूरे दिल से किया है।
वहीं भाजपा अपने विकल्पों पर विचार कर रही है। पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली टीडीपी के साथ बीजेपी के राज्य स्तरीय नेताओं का एक वर्ग गठबंधन के लिए उत्सुक है। क्योंकि इस वर्ग के नेताओं का मानना है कि इस तरीके से कुछ सीटे जीतने के साथ ही कार्यकर्ताओं में भी जोश भरने की उम्मीद की जा सकती है। इसके साथ ही भाजपा इस दुविधा में है कि अगर वाईआऱएस कांग्रेस चुनाव में जीत हासिल करती है, तो टीडीपी के साथ गठबंधन प्रतिकूल साबित होगा।
इसके साथ ही पूर्व सीएम एन चंद्रबाबू नायडू की तुलना में मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी के रिश्ते भाजपा के साथ अच्छे हैं। आंध्र प्रदेश के लिए विशेष दर्जे की मांग को लेकर 2018 में टीडीपी ने बीजेपी से अपना नाता तोड़ लिया था। वहीं साल 2019 में सत्ता से बाहर होने के बाद टीडीपी एक बार फिर अपने पूर्व सहयोगी यानी की बीजेपी के करीब आने की कोशिश कर रही है।