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गुजरात हाईकोर्ट से भी राहुल गांधी को नहीं मिली राहत, 5 जून तक टला मानहानि केस का फैसला

By LSChunav | May 03, 2023

मोदी सरनेम मानहानि केस में राहुल गांधी खास राहत मिलती दिखाई नहीं दे रही है। राहुल गांधी की अपील गुजरात हाईकोर्ट छुटि्टयों के बाद फैसला सुनाएगी। जस्टिस हेमंत एम प्राच्छक की कोर्ट में मामले की सुनवाई की गई। इस दौरान राहुल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से एक अंतरिम आर्डर पास करने की मांग की। इस पर जस्टिस प्राच्छक ने कहा कि वह छुट्टियों के बाद आदेश पारित करेंगे। वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि वह कोर्ट से विनती करते हैं कि आज ही कुछ निर्णय दें। लेकिन जस्टिस प्राच्छक ने छुट्टियों के बाद फैसला सुनाए जाने के लिए कहा।

5 जून को खुलेगा हाईकोर्ट
बता दें कि राहुल गांधी की अपील पर अदालत ने लंबी सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। गुजरात हाईकोर्ट छुटि्टयों के बाद 5 जून को खुलेगी। गुजरात हाईकोर्ट में 5 मई आखिरी वर्किंग डे है। जिसके बाद 1 महीने तक कोर्ट बंद रहेगा। ऐसे में राहुल गांधी पर मानहानि केस का फैसला 5 जून के बाद आएगा। जस्टिस हेमंत एम प्राच्छक के मुताबिक वह छुटि्टयों में ऑर्डर को तैयार करेंगे। वहीं जब कोर्ट खुलेगा तब वह इस पर अपना फैसला सुनाएंगे। हाईकोर्ट के फैसले के लिए राहुल गांधी को कम से कम एक महीने तीन दिन इंतजार करना पड़ेगा।

दोनों पक्षों में हुई बहस
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों में तीखी बहस हुई। बीजेपी के विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी पर मानहानि का केस किया था। उन्होंने राहुल गांधी को राहत दिए जाने के फैसले का विरोध किया। पूर्णेश मोदी के वकील निरुपम नानावटी ने राहुल गांधी के आचरण पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि वह दोषी करार किए जाने के बाद भी अपमानजनक बयान दे रहे हैं। इसीलिए सूरत कोर्ट के फैसले के बाद भी राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि के केस किए जा रहे हैं। वकील निरुपम नानावटी ने कहा कि राहुल गांधी जनता के बीच में कहते हैं कि वह गांधी हैं, सावरकर नहीं जो माफी मांगे। 

बढ़ सकती हैं राहुल गांधी की मुश्किलें
राहुल गांधी पहले ही अपनी लोकसभा की अपनी सदस्यता गंवा चुके हैं। हाई कोर्ट के फैसला सुरक्षित रख लेने पर उनकी सदस्यता बहाल होने की संभावना काफी कम दिख रही है। बता दें कि चुनाव आयोग ने अगर इस बीच खाली पड़ी लोकसभा सीट पर उप चुनाव की घोषणा कर दी। तो राहुल गांधी की मुश्किलें अधिक बढ़ सकती हैं। क्योंकि अगर कोई सीट तीन महीने तक खाली रहती है तो वहां पर चुनाव प्रक्रिया फिर से शुरू कर दी जाती है। हालांकि कुछ मामलों में आयोग 6 महीने तक सीट खाली रहने देता है।

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