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AIDMK में राजनीतिक खींचतान के बीच शशिकला की वापसी के संकेत, इसका क्या होगा पार्टी पर असर?

By LSChunav | Jun 09, 2021

अन्नाद्रमुक (AIDMK) के शीर्ष नेता के पलानीस्वामी ने अपने एक बयान में कहा कि पार्टी का रुख है कि वी के शशिकला और उनके परिवार का इसमें कोई स्थान नहीं है। पलानिस्वामी ने पार्टी कोऑर्डिनेटर, ओ पनीरसेल्वम के साथ मतभेदों के दावों का खंडन भी किया। ऑडियो क्लिप लीक करके पार्टी में "भ्रम पैदा करने की कोशिश" की निंदा करते हुए, पलानीस्वामी ने कहा कि ऐसे प्रयास सफल नहीं होंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका अपनी पार्टी के सहयोगी ओ पनीरसेल्वम (ओपीएस) के साथ कोई मतभेद नहीं है। उन्होंने कहा कि, "शशिकला AIDMK की सदस्य नहीं हैं और उनका पार्टी से कोई संबंध नहीं है। मैं खुद और AIDMK के उप समन्वयक केपी मुनुस्वामी पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं। गौरतलब है कि शशिकला ने 6 अप्रैल को होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ही घोषणा कर दी थी कि वह राजनीति से दूर रहने का विकल्प चुन रही हैं।
उन्होंने कहा कि सभी स्तरों पर नेताओं, पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं का एकमत विचार था कि शशिकला और उनके परिवार का AIDMK में कोई स्थान नहीं है और यह रुख जारी रहेगा। इस दृढ़ विश्वास के आधार पर ही AIDMK ने 6 अप्रैल के विधानसभा चुनावों का सामना किया और 'सफल' होने में सक्षम था। AIDMK को 66 सीटें, पीएमके और भाजपा को क्रमश: पांच और चार सीटें मिली हैं। 
 

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पलानीस्वामी ने कहा कि शशिकला, अपने भतीजे  टीटीवी दिनाकरण के नेतृत्व में अम्मा मक्कल मुनेत्र कड़गम कैडरों के साथ बातचीत कर रही हैं। इसमें इससे ज़्यादा और कुछ भी नहीं है। पलानीस्वामी ने कहा कि AIDMK आज एक मजबूत विपक्षी पार्टी है, लेकिन कुछ लोग जानबूझकर रिकॉर्ड की गई बातचीत के प्रसार के माध्यम से भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, जो सफल नहीं होगा। 
शशिकला की वापसी से AIDMK पर क्या असर होगा?
शशिकला के खेमे को उम्मीद है कि पलानीस्वामी की पार्टी में अभूतपूर्व पकड़ के कारण आने वाले हफ्तों में पलानीस्वामी और पनीरसेल्वम खेमे के बीच खींचतान और बढ़ जाएगी। ऐसे समय में जब दोनों नेता AIDMK में नंबर 1 के रूप में उभरना चाहते हैं, शशिकला के निशाने पर पलानीस्वामी हैं। शशिकला खेमे को यह भी उम्मीद है कि अगर शशिकला राजनीतिक मोर्चे का नेतृत्व करने के लिए आगे आती हैं, तो पनीरसेल्वम उनका समर्थन करेंगे।
शशिकला के निशाने पर क्यों हैं पलानीस्वामी?
शशिकला दोनों नेताओं के साथ अलग-अलग सत्ता संघर्ष में शामिल रही हैं। दिसंबर 2016 में जयललिता की मृत्यु के बाद, पन्नीरसेल्वम ने ही शशिकला के अधिकार पर सवाल उठाते हुए पार्टी में विद्रोह का नेतृत्व किया था। वहीं, 2017 की शुरुआत में बेंगलुरु जेल भेजे जाने से पहले शशिकला ने पलानीस्वामी को ही मुख्यमंत्री के रूप में चुना था। शशिकला ने पलानिस्वामी पर भरोसा करके AIADMK के संसाधनों को संभालने का काम सौंपा उन्हें सौंपा था। हालाँकि, बाद में पलानिस्वामी ही पार्टी में शशिकला की वापसी में मुख्य बाधा बन गए।
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