मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद के संबंध में आगरा कोर्ट के समक्ष लंबित मुकदमों पर संभावित प्रभाव वाले एक महत्वपूर्ण फैसले में, उच्च न्यायालय ने बीते दिन आदेश 7 नियम 11 सीपीसी के तहत दायर शाही ईदगाह मस्जिद की याचिका को खारिज कर दिया। इस याचिका में देवता और हिंदू उपासकों द्वारा दायर 18 मुकदमों की स्थिरता को चुनौती दी गई थी। इसके अलावा पिछली जुलाई की सुनवाई में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने कोर्ट में अपना ऑब्जेक्शन और दूसरे प्रतिवादी इंतजामिया कमिटी ने अपना जवाब दाखिल किया था। वहीं, बुद्धवार को सुनवाई के समय श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के अधिवक्ता ने एएसआई के लगाए गए ऑब्जेक्शन पर अपना जबाव दिया।
जीपीआर सर्वे का प्रार्थना पत्र विचारधीन
जामा मस्जिद की सीढ़ियों के GPR सर्वे का प्रार्थना पत्र अभी विचाराधीन है। बता दें कि, 16 जुलाई की सुनवाई में विपक्षी उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड भी उपस्थित रहा था। प्रतिवादी भारतीय पुरात्व सर्वेक्षण एएसआई ने कोर्ट अपना जवाब दाखिल किया।
कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर ने किया दावा
प्रसिद्ध कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर का दावा है कि, मुगल शासक औरंगजेब ने 1670 में मथुरा कृष्ण जन्मभूमि से भगवान केशवदेव के विग्रह आगरा की जमा मस्जिद, जहांआरा बेगम मस्जिद की सीढियों के नीचे दबा दिए। अदालत सबसे पहले जमा मस्जिद की सीढ़ियों से लोगों का आवागमन बंद कराकर जमा मस्जिद की सीढ़ियों का एएसआई सर्वे कराए।
ASI सर्वे से सच बाहर आएगा
बता दें कि, श्रीकृष्ण जन्मभूमि संरक्षित सेवा ट्रस्ट के अधिवक्ता विनोद शुक्ला ने कहा कि हमने पहले ही कोर्ट से मांग की है कि, जमा मस्जिद का सच सबके सामने लाने के लिए एएसआई कराया जाए। एएसआई की सर्वे रिपोर्ट से विवाद खत्म किया जा सकता है। क्योंकि, सर्वे रिपोर्ट से हकीकत सामने आएगी।