बंगाल में साल 2011 के बाद जब से 34 साल के वाम मोर्चा शासन को समाप्त हुआ और तृणमूल कांग्रेस सत्ता में आई है। तब से भ्रष्टाचार के आरोप में दर्जन भर से ज्यादा विधायक, मंत्री, नेता और सांसदों को गिरफ्तार किया गया है। बता दें कि तृणमूल के तत्कालीन राज्यसभा सदस्य सृंजय बोस, तत्कालीन परिवहन मंत्री मदन मित्रा और तृणमूल के विधायक को करोड़ों रुपये के शारदा चिटफंड घोटाले में गिरफ्तार किया गया था। वहीं मित्रा और बोस को सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किया गया था। इसके साथ ही टीएमसी के प्रवक्ता और पार्टी के पूर्व राज्यसभा सदस्य कुणाल घोष भी को बंगाल पुलिस ने शारदा चिटफंड घोटाले में गिरफ्तार किया था।
इस घटना के बाद सीबीआई अधिकारियों ने रोजवैली चिटफंड घोटाले में तृणमूल कांग्रेस के लोकसभा सदस्य सुदीप बंद्योपाध्याय और अभिनेता से नेता बने स्वर्गीय तापस पाल को गिरफ्तार किया। तो वहीं फरवरी 2020 में तापस पाल की हार्टअटैक से मौत हो गई थी। इसके बाद साल 2021 में टीएमसी के पूर्व राज्यसभा सदस्य और अलकेमिस्ट ग्रुप के संस्थापक केडी सिंह को ईडी के अधिकारियों ने गिरफ्तार किया। इन दोनों को साल 2018 में केंद्रीय एजेंसी द्वारा शुरू किए गए मनी लॉड्रिंग के केस में गिरफ्तार किया गया।
वहीं साल 2022 में बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा शुरू की गई। तो तृणमूल कांग्रेस के महासचिव और बंगाल के पूर्व शिक्षामंत्री पार्थ चटर्जी गिरफ्तारी हुई। फिर इस मामले में पार्टी के एक अन्य विधायक जीबनकृष्ण साहा और बंगाल बोर्ड ऑफ प्राइमरी एजुकेशन (डब्ल्यूबीबीपीई) के पूर्व अध्यक्ष मानिक भट्टाचार्य को ईडी द्वारा गिरफ्तार किया गया। इतनी गिरफ्तारियों के बाद भी राज्य में भ्रष्टाचार को खत्म नहीं किया जा सका।