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Hajipur Lok Sabha Seat: क्या पिता का सियासी विरासत को बचाने में कामयाब होंगे चिराग पासवान या शिव चंद्र राम मारेंगे बाजी

By LSChunav | May 15, 2024

बिहार में कुल 40 लोकसभा सीटें हैं। इनमें कुछ सीटें हॉट हैं, जिनपर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। इनमें से बिहार की एक हाई प्रोफाइल सीट हाजीपुर लोकसभा सीट है। इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा हुआ करता था। लेकिन 1977 के चुनाव में रामविलास पासवान ने सेंध लगाई थी। जिसके बाद पासवान के परिवार ने इस सीट से कई चुनाव में जीत हासिल की।
 
वहीं साल 2019 के चुनाव में पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस ने इस सीट पर जीत हासिल की थी। इस बार यहां से काफी दिलचस्प मुकाबला है। दरअसल, हाजीपुर सीट से रामविलास के बेटे और लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के अध्यक्ष चिराग पासवान चुनावी मैदान में खड़े हैं। तो वहीं आरजेडी ने इस सीट से शिवचंद्र को चुनावी रण में उतारा है।

लोक जनशक्ति प्रत्याशी चिराग पासवान
इस बार हाजीपुर लोकसभा सीट से लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के अध्यक्ष चिराग पासवान मैदान में उतरे हैं। इससे पहले चिराग पासवान जमुई सीट से सांसद चुने गए। उन्होंने साल 2014 और 2019 में इस सीट से जीत हासिल की थी। लेकिन इस बार उन्होंने अपने पिता की सीट से चुनाव लड़ने की ठानी है।
 
बता दें कि हाजीपुर लोकसभा सीट से चिराग के पिता रामविलास पासवान 9 बार सांसद रहे हैं। वहीं इस चुनाव में बिहार की राजनीति में चिराग काफी लाइमलाइट बटोर रहे हैं। बिहार में भाजपा की सियासी फिल्म के लीड अभिनेता चिराग पासवान हैं। एनडीए में शामिल होने के बाद उन्होंने पिता की सीट हाजीपुर पर दावा ठोंका है। वहीं चिराग पीएम मोदी को प्रभु राम और खुद को उनका सेवक हनुमान कहते हैं।

आरजेडी प्रत्याशी शिव चंद्रराम
वहीं आरजेडी के प्रत्याशी शिवचंद्र हाजीपुर लोकसभा सीट से चुनावी ताल ठोंक रहे हैं। साल 2019 में भी उन्होंने इस सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन तब उनको हार का सामना करना पड़ा था। ऐसे में इस बार भी पूर्व मंत्री शिवचंद्र राम की जीत का सफर इतना आसान नहीं होने वाला है। चिराग पासवान को टक्कर देने के लिए महागठबंधन ने शिव चंद्रराम को आरजेडी के टिकट से उम्मीदवार बनाया है।
 
हालाँकि चुनाव जीतने के लिए उन्होंने भी पूरा जोर लगाया है। ऐसे में चिराग के लिए भी पिता की सियासी विरासत को बचाने की चुनौती है। वहीं शिव चंद्रराम को अपने वोटबैंक पर पूरा भरोसा है। ऐसे में अब मतदाना प्रत्याशियों के भरोसे पर कितना खरा उतरते हैं , यह वक्त ही बताएगा।
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