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आंध्र प्रदेश

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तीखे बयान

  • जनसंख्या:
  • पुरुष:
  • महिला:
  • लोकसभा सीटें: 25
  • राजधानी: हैदराबाद
  • चरण-1 (मतदान दर) : 66.00

भारत के दक्षिण में स्थित आंध्र प्रदेश राज्य का गठन 1 नवम्बर 1956 को किया गया था लेकिन फरवरी 2014 को संसद ने अलग तेलंगाना राज्य के गठन को मंजूरी दे दी जिससे इस राज्य का विभाजन हो गया और दो जून 2014 को तेलंगाना राज्य अस्तित्व में आया। आंध्र प्रदेश का विभाजन तत्कालीन संप्रग सरकार के लिए आसान नहीं रहा क्योंकि इसके विरोध में हुए भारी हंगामे से संसद की कार्यवाही ठप कर दी गयी थी। आंध्र प्रदेश के विभाजन के समय यह तय हुआ था कि दस साल तक हैदराबाद दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी होगी। विभाजन के बाद अब आंध्र प्रदेश में लोकसभा की 25 सीटें रह गयी हैं। संयुक्त आंध्र प्रदेश में लोकसभा की कुल 42 सीटें हुआ करती थीं।

आंध्र प्रदेश की भौगालिक स्थिति की बात करें तो यह राज्य उत्तर में महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और ओडिशा, पूर्व में बंगाल की खाड़ी, दक्षिण में तमिलनाडु और पश्चिम में कर्नाटक से घिरा हुआ है। इस राज्य में दो प्रमुख नदियाँ, गोदावरी और कृष्णा हैं। तेलुगू राज्य की राजभाषा है और भारत की अत्यधिक बोली जाने वाली भाषाओं में तेलुगू का तीसरा स्थान है। राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए आय का मुख्य स्रोत कृषि ही है। तिरुपति या तिरुमला हिंदुओं के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण तीर्थ-स्थान है जोकि चित्तूर जिले में स्थित है।

आंध्र प्रदेश का राजनीतिक इतिहास देखें तो यहाँ 1982 तक कांग्रेस की सरकारों का बोलबाला रहा। के. ब्रह्मानंद रेड्डी ने लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड बनाया। राज्य का नेतृत्व नीलम संजीव रेड्डी, एन.टी. रामाराव, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिंहा राव और वाईएसआर रेड्डी जैसे दिग्गज भी कर चुके हैं।

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