दिल्ली के प्रशासन की बात करें तो यहाँ उपराज्यपाल के पास सर्वाधिक शक्तियाँ हैं जोकि दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच सेतु का काम भी करते हैं। दिल्ली में 70 सदस्यीय विधानसभा है जिसमें अभी आम आदमी पार्टी का बहुमत है और अगर राजनीतिक दलों के हिसाब से सीटों की संख्या देखें तो आम आदमी पार्टी के 66, भाजपा के 03 और शिरोमणि अकाली दल का 01 विधायक है। इसके अलावा दिल्ली में पाँच नगर निगम हैं। दक्षिणी दिल्ली नगर निगम, पूर्वी दिल्ली नगर निगम और उत्तरी दिल्ली नगर निगम में भारतीय जनता पार्टी का शासन है और इन तीनों ही निगमों में मेयर भाजपा के ही पार्षद हैं। अन्य दो नगर निगम हैं- नयी दिल्ली नगर पालिका परिषद केंद्र सरकार के अधीन है और इसके मुख्य प्रशासक आईएएस अधिकारी होते हैं जबकि इसका वाइस चेयरमैन और परिषद के सदस्य नामांकित किये जाते हैं। नयी दिल्ली विधानसभा सीट के विधायक भी परिषद के सदस्य होते हैं। इस समय भाजपा नेता करण सिंह तँवर नयी दिल्ली नगर पालिका परिषद के वाइस चेयरमैन हैं। दिल्ली छावनी परिषद दिल्ली के छावनी इलाके में निगम संबंधी कार्य देखता है। इस परिषद के अध्यक्ष और अन्य महत्वपूर्ण पदों पर सेना अधिकारी ही होते हैं। परिषद की आठ सीटों के लिए चुनाव कराये जाते हैं और विभिन्न राजनीतिक दल और निर्दलीय प्रत्याशी अन्य चुनावों की तरह इस चुनाव में भी भाग लेते हैं।
किस पार्टी का कितना दम
दिल्ली में जहाँ 70 विधानसभा सीटें हैं वहीं 07 लोकसभा सीटें और 03 राज्यसभा सीटें हैं। लोकसभा में दिल्ली की सभी सीटें भाजपा के पास हैं और राज्यसभा की सभी सीटों पर आम आदमी पार्टी काबिज है। पिछली लोकसभा में सभी सीटें कांग्रेस के पास थीं लेकिन 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए सभी सातों सीटों पर कब्जा जमाया था। हालांकि विधानसभा चुनावों में भाजपा वह प्रदर्शन दोहरा नहीं पायी और 70 में से मात्र 03 सीटों पर सिमट गयी। दिल्ली में 15 साल तक राज करने वाली कांग्रेस के पास फिलहाल लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा में कोई सीट नहीं है और पार्टी कुछ निगमों की ही सीटों पर काबिज है।